सोमवार, 4 जून 2012

पुरी -: समुद्र, धर्म और आध्यात्म का संगम...

पुरी, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन शहर है, जो अपनी धार्मिक महत्ता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। मैंने हाल ही में पुरी की यात्रा की और यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।

पुरी का समुद्र तट बेहद खूबसूरत है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां का दृश्य मन मोह लेने वाला होता है। समुद्र की लहरें मन को शांत करती हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करती हैं। हालांकि, यहां तैराकी के लिए सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि समुद्र की लहरें काफी तेज होती हैं।

पुरी, हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यहां स्थित जगन्नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर का वास्तुशिल्प अद्भुत है और यहां का वातावरण बेहद पवित्र है। मैंने मंदिर में दर्शन किए और मन को शांति मिली।

रथयात्रा का उत्सव

मैंने पुरी में रथयात्रा का उत्सव भी देखा। यह एक बहुत ही भव्य और रंगीन उत्सव है। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को रथ पर सवार करके शहर के चारों ओर घुमाया जाता है।

पुरी में और क्या देखें

  • गुंडिचा मंदिर: यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर के पास स्थित है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां रथयात्रा के दौरान कुछ दिनों के लिए विराजमान रहती हैं।
  • पुरी बीच: यह समुद्र तट सूर्यास्त देखने के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां आप समुद्र में नहा सकते हैं, रेत पर खेल सकते हैं और स्थानीय व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं।
  • आनंद बाजार: यह बाजार स्थानीय हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आपको कई तरह के स्थानीय व्यंजन मिलेंगे।

यात्रा की योजना कैसे बनाएं

आप पुरी रेल, बस या हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। यहां आने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम होता है। पुरी में ठहरने के लिए कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।

निष्कर्ष

पुरी एक ऐसा शहर है जहां आप धर्म, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। अगर आप एक शांत और आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो पुरी आपके लिए एक आदर्श स्थान है।



पूरी का समुन्‍द्र तट पे नहाने का मजा ही कुछ और है 


पुरी में नारियल 5 रू में मिलता है इसका मजा जरूर ले 

प्रवीण जी भागों वरना समुन्‍द्र आप को अपने पास बुला लेगा 

प्रवीण जी समुनद्र को निहारते हुए 

मजा आ गया इसे देख कर 



कोणार्क का सूर्य मंदिर: विश्व धरोहर और कला का उत्कृष्ट नमूना...

मैंने जब कोणार्क सूर्य मंदिर जाने का फैसला किया, तो मन में एक अलग सी उत्सुकता थी। यह मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि भारतीय इतिहास और कला का एक जीवंत उदाहरण है। जैसे ही मैं मंदिर के करीब पहुंचा, मेरी आंखें चकित रह गईं। विशाल सूर्य देव का रथ, जो पत्थर से बना था, इतना भव्य और जटिल था कि मैं दंग रह गया।

मंदिर का इतिहास:

कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसे सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया गया है। मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली की है, जिसमें पत्थर पर की गई नक्काशी बेहद ही खूबसूरत है।

मंदिर की खूबियां:

  • सूर्य देव का रथ: मंदिर की सबसे खास बात है इसका रथ जैसा आकार। इस रथ को सात घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है और इसमें बारह पहिए हैं। प्रत्येक पहिए में आठ अर हैं जो दिन के आठ पहरों को दर्शाते हैं।
  • नक्काशी: मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी बेहद ही जटिल और विस्तृत है। यहां आपको देवी-देवताओं, नर्तकियों, जानवरों और पौधों की अद्भुत नक्काशी देखने को मिलेगी।
  • कामसूत्र की मूर्तियां: मंदिर में कामसूत्र की मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं। इन मूर्तियों को देखकर आप भारतीय संस्कृति की खुली सोच का अंदाजा लगा सकते हैं।
  • सूर्य देव की मूर्तियां: मंदिर में सूर्य देव की तीन अलग-अलग अवस्थाओं की मूर्तियां हैं - बाल्यावस्था, युवावस्था और प्रौढ़ावस्था।
  • नट मंदिर: मंदिर में एक नट मंदिर भी है जहां नर्तकियां सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करती थीं।

मंदिर का महत्व:

कोणार्क सूर्य मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यह मंदिर भारतीय कला और स्थापत्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।

यात्रा का अनुभव:

जब मैं मंदिर के अंदर गया, तो मुझे लगा कि मैं समय में पीछे चला गया हूं। मंदिर की शांति और भव्यता ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। मैंने मंदिर की हर एक नक्काशी को ध्यान से देखा और उसकी खूबसूरती का आनंद लिया।

यात्रियों के लिए सुझाव:

  • मंदिर देखने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है।
  • मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करने की अनुमति नहीं है।
  • मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे दुकानें हैं जहां से आप स्मारक खरीद सकते हैं।
  • मंदिर के पास ही कई होटल और रेस्तरां हैं जहां आप ठहर सकते हैं और खाना खा सकते हैं।

निष्कर्ष:

कोणार्क सूर्य मंदिर एक ऐसा स्थान है जिसे हर भारतीय को कम से कम एक बार जरूर देखना चाहिए। यह मंदिर हमें हमारी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के बारे में बताता है। अगर आप कभी उड़ीसा जाते हैं, तो कोणार्क सूर्य मंदिर जरूर देखें।







बराबर गुफाएँ: बिहार में स्थित चट्टानों को काटकर बनाई गई प्राचीन गुफाएँ...

          मैंने जब बराबर गुफाओं के बारे में सुना तो उत्सुकतावश मैं उनको देखने के लिए निकल पड़ा। ये गुफाएं भारत के प्राचीन इतिहास का एक जीवंत उदाहरण हैं और इनकी खूबसूरती और शांति ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। यह यात्रा वृत्तांत मेरी उस यात्रा का एक विस्तृत विवरण है, जिसमें मैंने गुफाओं के इतिहास, वास्तुकला और महत्व के बारे में जानने की कोशिश की है।

यात्रा का आरंभ

मैं पटना से जहानाबाद के लिए ट्रेन से रवाना हुआ। जहानाबाद से आगे मखदुमपुर तक बस द्वारा यात्रा की। मखदुमपुर से बराबर की पहाड़ियां लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर हैं। रास्ते में हरी-भरी वादियां और खेत देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा।

बराबर की पहाड़ियां

जब मैं बराबर की पहाड़ियों पर पहुंचा तो मैं दंग रह गया। ये पहाड़ियां प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण थीं। पहाड़ियों के बीच बनी गुफाएं देखकर मेरी उत्सुकता और बढ़ गई।

गुफाओं का इतिहास

मैंने स्थानीय लोगों से बातचीत की और गुफाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि ये गुफाएं मौर्य काल की हैं और इनका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। इन गुफाओं का उपयोग आजीविका संप्रदाय के संन्यासियों द्वारा किया जाता था।

गुफाओं की वास्तुकला

गुफाओं की वास्तुकला अद्भुत है। इन गुफाओं को ग्रेनाइट पत्थर को तराशकर बनाया गया है। गुफाओं की दीवारें चिकनी और चमकदार हैं। गुफाओं के अंदर एक शांति और शांति का माहौल है।

गुफाओं का महत्व

बराबर की गुफाएं भारत के प्राचीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये गुफाएं हमें उस समय के लोगों के जीवन और संस्कृति के बारे में जानकारी देती हैं। ये गुफाएं भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल खजाना हैं।

मेरा अनुभव

मैं जब गुफाओं के अंदर गया तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं समय में पीछे चला गया हूं। मैंने गुफाओं के अंदर ध्यान लगाया और शांति का अनुभव किया। यह मेरी जिंदगी का सबसे यादगार अनुभव था।

निष्कर्ष

बराबर की गुफाएं एक ऐसी जगह हैं जिसे हर किसी को एक बार जरूर देखना चाहिए। ये गुफाएं हमें इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के बारे में बहुत कुछ सिखाती हैं। मैं सभी को बराबर की गुफाओं की यात्रा करने के लिए प्रेरित करता हूं।

यात्रा टिप्स

  • कब जाएं: साल भर किसी भी समय जाया जा सकता है, लेकिन सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा होता है।
  • कैसे पहुंचें: पटना से जहानाबाद के लिए ट्रेन से और जहानाबाद से मखदुमपुर के लिए बस से जा सकते हैं।
  • क्या लाएं: पानी की बोतल, कैमरा, टोपी, सनस्क्रीन और आरामदायक कपड़े।
  • कहां ठहरें: मखदुमपुर में कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
  • क्या खाएं: स्थानीय व्यंजन का स्वाद जरूर लें।

अन्य जानकारी

  • बराबर की गुफाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप स्थानीय पुस्तकालय या इंटरनेट पर जा सकते हैं।
  • आप स्थानीय टूर ऑपरेटर से भी संपर्क कर सकते हैं।

धन्यवाद

मुझे उम्मीद है कि यह यात्रा वृत्तांत आपको बराबर की गुफाओं के बारे में जानने में मदद करेगा।




















बराबर के लोमस ऋषि गुफा में ध्यान वर्ष 2005