नवंबर 2024 की सर्द सुबह, जब सूर्य की किरणें अभी पूरी तरह से धरती पर नहीं पहुँची थीं, मेरी पत्नी ने एक रोमांचक प्रस्ताव रखा - इस वर्ष छठ पूजा बनारस में मनाने का। यह विचार मुझे और मेरे दोनों बच्चों को बेहद पसंद आया, क्योंकि बनारस की छठ पूजा की भव्यता और गंगा के घाटों का आध्यात्मिक वातावरण हमेशा से हमें आकर्षित करता रहा था।
यात्रा की शुरुआत और काशी आगमन
हमने अपनी यात्रा की शुरुआत अनुग्रह नारायण रोड से एक ट्रेन पकड़कर की। पूरे रास्ते, बच्चों की उत्सुकता और पत्नी की तैयारियों की चर्चा ने यात्रा को और भी आनंददायक बना दिया। शाम 5 बजे, जब हम बनारस पहुँचे, तो शहर की जीवंतता ने हमारा स्वागत किया। हमने गोदौलिया में एक होटल में कमरा लिया, जो विश्वनाथ मंदिर के पास था। थोड़ा आराम करने के बाद, हम मंदिर की ओर चल पड़े।
विश्वनाथ मंदिर और काशी की गलियाँ
विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन का अनुभव अद्भुत था। लंबी कतारों के बावजूद, मंदिर की शांति और पवित्रता ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शन के बाद, हमने गोदौलिया बाजार में घूमने का आनंद लिया। यहाँ की चहल-पहल, रंग-बिरंगी दुकानें और स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड ने हमें अपनी ओर आकर्षित किया। हमने चाट, पकौड़ी और बनारसी पान का स्वाद चखा, जो बनारस की खास पहचान हैं।
गंगा स्नान और नौका विहार
अगली सुबह, हमने गंगा नदी में पवित्र स्नान किया। गंगा के ठंडे पानी में डुबकी लगाने से मन को एक अजीब सी शांति मिली। इसके बाद, हमने फिर से विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए और गंगा में नौका विहार का आनंद लिया। नाव की सवारी के दौरान, हमने बनारस के घाटों की सुंदरता और यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस किया। नाविक ने हमें विभिन्न घाटों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया, जिससे हमारी यात्रा और भी ज्ञानवर्धक हो गई।
रामनगर का किला और हनुमान मंदिर
नौका विहार के बाद, हम रामनगर किले की ओर चल पड़े। किले की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व ने हमें प्रभावित किया। हमने किले के संग्रहालय में प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को देखा, जो बनारस के समृद्ध इतिहास की झलक दिखाते हैं। इसके बाद, हमने हनुमान मंदिर में दर्शन किए और भजन-कीर्तन में भाग लिया। मंदिर का शांत वातावरण और हनुमान जी की दिव्य मूर्ति ने हमें शांति और शक्ति का अनुभव कराया।
बनारस के बाज़ार और स्थानीय व्यंजन
रामनगर से लौटकर, हमने बनारस के स्थानीय बाजारों में घूमने का आनंद लिया। यहाँ की रंगीन साड़ियाँ, लकड़ी के खिलौने और हस्तशिल्प की वस्तुएँ देखकर हम मंत्रमुग्ध हो गए। हमने कुछ स्थानीय मिठाइयाँ और नमकीन भी खरीदीं, जिनका स्वाद हमें हमेशा याद रहेगा। बनारस के स्ट्रीट फूड का स्वाद तो लाजवाब था ही, साथ ही हमने कुछ स्थानीय रेस्तराओं में भी भोजन किया, जहाँ हमें बनारसी थाली और अन्य पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।
छठ पूजा का अनुभव
छठ पूजा के दिन, हमने गंगा के घाटों पर जाकर पूजा की तैयारियों को देखा। घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़, पारंपरिक गीत और पूजा सामग्री की खुशबू ने एक अद्भुत वातावरण बना दिया था। हमने भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया और छठ माता का आशीर्वाद लिया। घाटों पर छठ पूजा का दृश्य इतना मनमोहक था कि उसे शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है।
पारिवारिक बंधन और यादगार पल
इस यात्रा ने न केवल हमें बनारस की संस्कृति और आध्यात्मिकता से परिचित कराया, बल्कि हमारे परिवार के बीच के बंधन को भी मजबूत किया। बच्चों ने इस यात्रा से बहुत कुछ सीखा और हम सबने मिलकर कई यादगार पल बिताए।
समापन
बनारस की यह छठ यात्रा हमारे लिए एक अनमोल अनुभव था। इस यात्रा ने हमें भारतीय संस्कृति की गहराई और आध्यात्मिकता की शक्ति का एहसास कराया। हम इस यात्रा को हमेशा याद रखेंगे और भविष्य में भी बनारस आने की योजना बनाएंगे।
यात्रा के कुछ खास अनुभव:
* विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन का आध्यात्मिक अनुभव।
* गंगा नदी में नौका विहार का आनंद।
* रामनगर किले की ऐतिहासिक भव्यता।
* बनारस के स्थानीय बाजारों की रंगीन और जीवंत संस्कृति।
* छठ पूजा के दौरान गंगा के घाटों का मनमोहक दृश्य।
* बनारस के स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड और पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद।
यह यात्रा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने हमें एक परिवार के रूप में भी करीब लाया। बनारस की संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता ने हमारे दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
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