30 जुलाई 2025 का दिन मेरे जीवन के उन खास दिनों में से एक रहा, जब मैं न सिर्फ अपने पेशेवर उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने गया, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर गया। मुझे औरंगाबाद जिले से जीविका परियोजना के अंतर्गत "जेंडर" विषय पर आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए मोहनिया, भभुआ जिला (कैमूर) जाना था। प्रशिक्षण का आयोजन होटल मोहनिया में किया गया था।
हमारे मन में पहले से ही यह योजना बन चुकी थी कि प्रशिक्षण शुरू होने से पहले हम एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल – मा मुंडेश्वरी धाम के दर्शन करेंगे। यह निर्णय न केवल यात्रा को विशेष बनाने वाला था, बल्कि एक प्रेरणादायक शुरुआत भी साबित हुआ।
सुबह की शुरुआत और यात्रा:
30 जुलाई की सुबह, हम सभी प्रतिभागी प्रातः 5:00 बजे जागे। यात्रा के लिए एक छोटी सी स्कॉर्पियो गाड़ी तय की गई थी, जिसमें सवार होकर हम लोग मुंडेश्वरी धाम की ओर निकल पड़े। मोहनिया से मुंडेश्वरी धाम की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। सुबह की ठंडी और ताजा हवा, हरियाली से भरे रास्ते और पहाड़ों की आभा यात्रा को और भी दिव्य बना रही थी।
करीब 7:00 बजे हम लोग मंदिर परिसर तक पहुंच गए। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, और विशेष बात यह है कि गाड़ी पहाड़ी की चोटी तक जाती है, जिससे बुजुर्ग और असहाय लोग भी आसानी से यहां दर्शन कर सकते हैं।
मा मुंडेश्वरी धाम में आध्यात्मिक अनुभव:
मंदिर में पहुंचते ही वातावरण में भक्तिभाव और शांति की अनुभूति हुई। मंदिर में प्रातः आरती हो रही थी, जिसे देखकर मन को अद्भुत संतोष मिला। इसके पश्चात हमने मंदिर के गर्भगृह में जाकर मां मुंडेश्वरी के दर्शन किए और प्रार्थना की।
मंदिर का निर्माण अद्वितीय स्थापत्य शैली में हुआ है। चतुर्भुज आकार के इस मंदिर में शक्ति और शिव की उपासना एक साथ होती है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। माना जाता है कि यह भारत का सबसे प्राचीन जीवित मंदिर है, जिसकी स्थापना मौर्यकाल (लगभग 108 ई.पू.) में हुई थी।
मंदिर का इतिहास:
मा मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले के मुंडेश्वरी पहाड़ी पर स्थित है और इसे भारत का सबसे पुराना क्रियाशील मंदिर माना जाता है। यहां देवी दुर्गा को मुंडेश्वरी माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि माता का यह स्थान शत्रुनाश, शांति और सिद्धि प्रदान करने वाला है। मंदिर के समीप ही शिवलिंग भी स्थित है, जिसे लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं।
यहां क्यों आना चाहिए?
यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जो व्यक्ति जीवन में मानसिक शांति और ऊर्जा की तलाश में है, उन्हें यहां अवश्य आना चाहिए।
पर्यटक, इतिहास प्रेमी, भक्तगण, प्रशिक्षणार्थी, छात्र, और फोटोग्राफर — सभी के लिए यह स्थान प्रेरणास्पद और ज्ञानवर्धक है।
सुबह की आरती और पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य मन को अद्भुत सुकून देता है।
प्रशिक्षण की ओर वापसी:
दर्शन के उपरांत हम सभी 9:00 बजे तक होटल मोहनिया, मोहनिया वापस आ गए। वहां पर जेंडर विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। प्रशिक्षण स्थल का प्रबंध उत्तम था, और प्रशिक्षण की शुरुआत आध्यात्मिक अनुभव के साथ होने के कारण सभी प्रतिभागी ऊर्जा से भरपूर थे।
निष्कर्ष:
मुंडेश्वरी धाम की यह यात्रा मेरे लिए केवल एक धार्मिक भ्रमण नहीं थी, बल्कि एक आत्मिक जागरण भी थी। ऐसी यात्राएं न केवल मन को शांति देती हैं, बल्कि कार्य में भी सकारात्मक ऊर्जा भरती हैं। यदि आप कैमूर जिले की ओर यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो मुंडेश्वरी धाम को अपनी सूची में जरूर शामिल करें — यह एक ऐसी जगह है, जहां भक्ति, इतिहास और प्रकृति एक साथ मिलते हैं।
📌 मुंडेश्वरी धाम कैसे पहुंचे?
निकटतम रेलवे स्टेशन: मोहनिया जंक्शन (25 किमी)
निकटतम शहर: भभुआ और मोहनिया
सड़क मार्ग: NH-2 से सीधा संपर्क, पहाड़ी के शीर्ष तक वाहन जा सकते हैं
बेस्ट समय: अक्टूबर से मार्च, लेकिन दर्शन वर्षभर हो सकते हैं