बुधवार, 30 जुलाई 2025

🌺 “मा मुंडेश्वरी धाम: आस्था, इतिहास और आत्मिक ऊर्जा का संगम” 🌺

30 जुलाई 2025 का दिन मेरे जीवन के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाने लायक है। यह दिन केवल एक प्रशिक्षण में भाग लेने तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने मुझे आध्यात्मिक ऊर्जा और मानसिक शांति से भर दिया। मैं औरंगाबाद जिले से जीविका परियोजना के अंतर्गत "जेंडर" विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण हेतु कैमूर जिले के मोहनिया गया था। प्रशिक्षण स्थल होटल मोहनिया में था, लेकिन असली शुरुआत तो मा मुंडेश्वरी धाम के दर्शन से हुई।

🛕 एक अद्भुत योजना: प्रशिक्षण से पहले आस्था की ओर

हम सभी प्रतिभागियों ने पहले ही तय कर लिया था कि प्रशिक्षण प्रारंभ होने से पहले मा मुंडेश्वरी धाम के दर्शन अवश्य करेंगे। यह निर्णय केवल धार्मिक भावना से प्रेरित नहीं था, बल्कि एक आत्मिक ऊर्जा की खोज भी थी। यही कारण था कि हम सब इस यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित थे।

🌄 यात्रा की शुरुआत: हरियाली, हवा और आस्था

प्रातः 5:00 बजे हम सब नींद से जागे और एक स्कॉर्पियो गाड़ी में सवार होकर मुंडेश्वरी धाम के लिए रवाना हो गए। मोहनिया से मंदिर की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। रास्ते में हरियाली, ताजगी और पहाड़ियों की छटा मन को मंत्रमुग्ध कर रही थी। जैसे-जैसे गाड़ी ऊंचाई की ओर बढ़ रही थी, मन श्रद्धा से भरता जा रहा था। विशेष बात यह रही कि यह पहाड़ी स्थान इतना सुलभ है कि गाड़ी मंदिर की चोटी तक आसानी से पहुंच जाती है — जो बुजुर्गों और असहाय श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत सहायक है।

🛐 आध्यात्मिक अनुभव: मां के दरबार में शांति और शक्ति

करीब 7:00 बजे हम मंदिर परिसर में पहुंचे। वहां का वातावरण अत्यंत शांत, भक्तिमय और सकारात्मक ऊर्जा से भरा था। मंदिर में उस समय प्रातः आरती हो रही थी — ढोल-नगाड़ों और शंख की आवाज से पूरा परिसर गूंज रहा था। इस आरती में भाग लेना हमारे लिए सौभाग्य था। जैसे ही हमने गर्भगृह में प्रवेश किया और मां मुंडेश्वरी के दर्शन किए, एक अनोखी शांति मन में समा गई। प्रार्थना करते हुए ऐसा लगा जैसे मां से सीधा संवाद हो रहा हो।

🏛️ मंदिर की विशेषताएं: एक अनुपम स्थापत्य और आस्था का केंद्र

मा मुंडेश्वरी धाम चतुर्भुज आकार में निर्मित है और यहां देवी शक्ति (दुर्गा) और शिव की संयुक्त उपासना होती है। यह तथ्य इसे और भी विशिष्ट बनाता है। इतिहासकार मानते हैं कि यह भारत का सबसे पुराना क्रियाशील मंदिर है, जिसकी स्थापना मौर्यकाल में, लगभग 108 ईसा पूर्व में हुई थी। मंदिर की बनावट, पत्थरों पर की गई नक्काशी और उसकी ऊंचाई, सब कुछ दर्शाता है कि यह सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत इतिहास है।

🧘‍♀️ मानसिक शांति और ऊर्जा का स्रोत

यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऊर्जा केंद्र भी है। यहां आने पर ऐसा लगता है जैसे शरीर का हर तनाव समाप्त हो रहा हो और आत्मा को नई ऊर्जा मिल रही हो। पर्वत की चोटी से देखने पर जो दृश्य दिखता है, वह आत्मा को सुकून देता है और मन को आनंद से भर देता है।

📖 मंदिर का इतिहास: हजारों वर्षों की जीवित परंपरा

मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और इसे भारत का सबसे प्राचीन सक्रिय मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में बलि नहीं दी जाती, बल्कि मां को शांति और करुणा से पूजा जाता है। यहां देवी दुर्गा को मुंडेश्वरी के रूप में पूजा जाता है — एक ऐसी शक्ति जो शत्रुनाशिनी भी है और शांति प्रदायिनी भी।

🙏 क्यों जाएं मुंडेश्वरी धाम?

धार्मिक महत्व: मां दुर्गा और भगवान शिव की संयुक्त उपासना का दुर्लभ स्थान।

ऐतिहासिक गौरव: मौर्यकाल से जुड़ा एक जीवंत साक्ष्य।

प्राकृतिक सौंदर्य: पर्वत, हरियाली और खुला आकाश — सब कुछ एक साथ।

आध्यात्मिक ऊर्जा: ध्यान, पूजा और आत्मिक संतुलन के लिए आदर्श स्थल।

फोटोग्राफी और अनुसंधान: ऐतिहासिक और स्थापत्य प्रेमियों के लिए खजाना।


🏨 प्रशिक्षण की ओर वापसी

दर्शन और आध्यात्मिक अनुभवों से भरकर हम 9:00 बजे तक होटल मोहनिया लौट आए। वहां पर जीविका द्वारा आयोजित चार दिवसीय “जेंडर” विषयक प्रशिक्षण का विधिवत शुभारंभ हुआ। चूंकि शुरुआत हमने मां के दर्शन से की थी, पूरे प्रशिक्षण सत्र के दौरान सभी प्रतिभागी विशेष ऊर्जा और सकारात्मकता से भरे रहे।

🌟 निष्कर्ष: एक यात्रा, अनेक अनुभव

मा मुंडेश्वरी धाम की यह यात्रा मेरे लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं थी — यह एक आत्मिक जागरण, एक मानसिक शुद्धि और एक ऊर्जा संचरण थी। मैंने महसूस किया कि जब किसी कार्य की शुरुआत आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ होती है, तो उसका प्रभाव भी गहरा और सकारात्मक होता है। अगर आप कैमूर जिले की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो मा मुंडेश्वरी धाम को अपनी सूची में जरूर शामिल करें।

🧭 कैसे पहुंचे मुंडेश्वरी धाम?

निकटतम रेलवे स्टेशन: मोहनिया जंक्शन (लगभग 25 किमी)

निकटतम शहर: भभुआ और मोहनिया

सड़क मार्ग: NH-2 (GT रोड) से सीधा रास्ता, पहाड़ी के शीर्ष तक वाहन जाते हैं

बेस्ट समय: अक्टूबर से मार्च, परंतु दर्शन पूरे साल किए जा सकते हैं

मा मुंडेश्वरी धाम में न केवल आस्था है, बल्कि वह शक्ति भी है जो आपको भीतर से मजबूत बनाती है। यह वह स्थान है जहां इतिहास, प्रकृति और भक्ति एक त्रिवेणी की तरह मिलते हैं। एक बार जाएं — और खुद अनुभव करें उस ऊर्जा को जो आपको भीतर से जाग्रत कर दे। 🌿✨




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