भारत के पूर्वी तट पर बसा पुरी, उड़ीसा (अब ओडिशा) का वह मोती है जो अपने भीतर धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा संगम समेटे हुए है। यह शहर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अनुभवों का खजाना है—जहां एक ओर जगन्नाथ मंदिर की घंटियों की गूंज है, तो दूसरी ओर समुद्र की लहरों का अनवरत संगीत।
मैं मई 2013 में पुरी गया था, और आज भी उस यात्रा की हर याद मेरे दिल में ताज़ा है। उस समय का मौसम गर्म जरूर था, लेकिन समुद्र की ठंडी हवाओं और पुरी के लोगों की आत्मीयता ने इसे बेहद सुखद बना दिया।
समुद्र का पहला दीदार: पुरी बीच की जादुई सुबह
पुरी पहुंचने के बाद मेरी सबसे पहली इच्छा थी—समुद्र देखने की। स्टेशन से होटल तक का रास्ता जैसे-जैसे समुद्र के करीब आता गया, हवा में नमक की हल्की महक और लहरों की गूंज सुनाई देने लगी।
सुबह-सुबह जब मैं पुरी बीच पर पहुंचा, तो सूरज लाल-गुलाबी रंग में समुद्र की गोद से उग रहा था। लहरें जैसे सूरज का स्वागत कर रही हों। पैरों के नीचे मुलायम रेत, सामने असीम जलराशि, और किनारे बैठी नावें—यह दृश्य किसी चित्रकार की पेंटिंग से कम नहीं था।
लेकिन यहां एक बात का ध्यान रखना जरूरी है—पुरी का समुद्र खूबसूरत जरूर है, लेकिन इसकी लहरें तेज होती हैं। मैंने भी बस पैरों तक पानी आने दिया और दूर से ही इस प्राकृतिक संगीत का आनंद लिया।
जगन्नाथ मंदिर: आस्था का केंद्र
पुरी की पहचान उसके जगन्नाथ मंदिर से है। यह मंदिर न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत के हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। चार धामों में से एक यह मंदिर अपनी विशालता और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर का वास्तुशिल्प अद्भुत है—ऊंची-ऊंची दीवारें, विशाल शिखर और अंदर की भव्यता मन मोह लेती है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां विराजमान हैं।
मैंने जब पहली बार मंदिर में प्रवेश किया, तो एक अलग ही ऊर्जा महसूस हुई। घंटियों की गूंज, मंत्रोच्चारण और प्रसाद की सुगंध—सब मिलकर मन को शांति और सुकून देने वाला वातावरण बना रहे थे।
रथयात्रा का अद्भुत नजारा
मेरे मई 2013 के दौरे के समय रथयात्रा तो नहीं थी, लेकिन वहां के लोगों ने मुझे इसके किस्से सुनाए। बाद में जब मैंने पुरी में रथयात्रा देखी, तो वह अनुभव जीवन भर के लिए यादगार बन गया।
रथयात्रा के दिन लाखों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विशाल मूर्तियों को सजाए हुए रथों पर बिठाकर शहर में घुमाया जाता है। इन रथों को खींचने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, और इसे एक पुण्य का कार्य माना जाता है।
गुंडिचा मंदिर: रथयात्रा का विश्राम स्थल
जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर का महत्व रथयात्रा से जुड़ा है। यहीं भगवान के रथ कुछ दिनों के लिए ठहरते हैं। मैंने मई 2013 में इसे बाहर से देखा था, लेकिन रथयात्रा के समय यह मंदिर जीवन से भर उठता है।
आनंद बाजार और पुरी के स्वाद
पुरी का आनंद बाजार नाम के अनुरूप वाकई आनंद देने वाला स्थान है। यहां आपको स्थानीय हस्तशिल्प, रंग-बिरंगे कपड़े, और खासकर पुरी का प्रसिद्ध ‘खाजा’ मिठाई मिलेगी। यह कुरकुरी, मीठी और मुंह में जाते ही घुल जाने वाली मिठाई मैंने कई बार खरीदी और सफर में साथ ले आया।
यहां की गलियों में ताजा समुद्री मछली, उड़ीसा की पारंपरिक दालमा, और नारियल पानी का स्वाद गर्मी में जैसे अमृत लगता था।
पुरी बीच: शाम का रोमांस
पुरी बीच की शाम अपने आप में एक उत्सव होती है। डूबते सूरज की लालिमा समुद्र के पानी में सोने-सी चमक बिखेर देती है। बच्चे रेत के घर बनाते हैं, नवविवाहित जोड़े समुद्र किनारे टहलते हैं, और व्यापारी रंग-बिरंगे गुब्बारे और चाट-पकौड़ी बेचते हैं।
मैं भी एक शाम रेत पर बैठा, लहरों को देखता रहा। ऐसा लगा जैसे समय थम गया हो।
यात्रा की योजना और सुझाव
पुरी पहुंचने के लिए रेल, बस और हवाई—तीनों सुविधाएं उपलब्ध हैं। भुवनेश्वर हवाई अड्डा पुरी से लगभग 60 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।
मेरा सुझाव है कि पुरी घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम (नवंबर से फरवरी) है। मई-जून में गर्मी थोड़ी ज्यादा होती है, लेकिन समुद्र का आनंद तब भी लिया जा सकता है।
ठहरने के लिए यहां सस्ते गेस्ट हाउस से लेकर लग्जरी होटल तक सब उपलब्ध हैं। अगर आप समुद्र के नजदीक रहना चाहते हैं, तो बीच रोड के पास होटल चुनें।
मई 2013 की मेरी यादें
मेरे लिए मई 2013 की पुरी यात्रा सिर्फ एक धार्मिक सफर नहीं, बल्कि मन और आत्मा को छू लेने वाला अनुभव था। गर्म धूप के बावजूद समुद्र की ठंडी हवा, मंदिर की भव्यता, लोगों की मेहमाननवाजी, और उड़ीसा के व्यंजनों का स्वाद—सब कुछ जैसे एक रंगीन कोलाज में सजा हुआ था।
पुरी ने मुझे सिखाया कि यात्रा सिर्फ जगह बदलना नहीं है, बल्कि अनुभवों, भावनाओं और कहानियों का संग्रह है। जब भी मैं उस सफर को याद करता हूं, तो लहरों की आवाज़ और मंदिर की घंटियां जैसे कानों में गूंज उठती हैं।
निष्कर्ष: पुरी—जहां हर कदम एक कहानी कहता है
पुरी ऐसा शहर है जहां आप एक ही जगह धर्म, संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और जीवन की नई दृष्टि देने वाला अनुभव है।
अगर आप भी ऐसी जगह की तलाश में हैं, जहां समुद्र की लहरें आपके मन का सारा बोझ धो दें और मंदिर की घंटियां आपको भीतर तक सुकून दें, तो पुरी आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है।