मई 2011 की एक तपती दोपहर थी, जब मैं अपने जलछाजन प्रोजेक्ट के फील्ड एग्ज़ामिनेशन के सिलसिले में बिहार के बाँका जिले की ओर रवाना हुआ। गंतव्य था – मंदार पर्वत। उस समय मेरे मन में यह केवल एक परीक्षा स्थल भर था, लेकिन जैसे-जैसे मैं वहाँ पहुँचा, यह स्थान एक परीक्षा केंद्र से बदलकर मेरे जीवन के सबसे अनोखे अनुभवों में से एक बन गया।
पहली झलक – दूर से दिखता पर्वत का वैभव
भागलपुर मंडल से दक्षिण की ओर लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अचानक क्षितिज पर एक ऊँचा-सा पहाड़ उभर आया। यह था मंदार पर्वत, लगभग 700 फीट ऊँचा, चारों ओर हरियाली और नीचे फैला शांत ग्रामीण परिवेश। गाड़ी से उतरते ही पहाड़ से आती ठंडी हवा और आसपास का प्राकृतिक नज़ारा मुझे किसी पौराणिक चित्रकथा का हिस्सा महसूस कराने लगा।
पौराणिक महत्व – समुद्र मंथन की अमर गाथा
मंदार पर्वत सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी धार्मिक मान्यताओं का जीता-जागता प्रतीक है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय मंदराचल पर्वत को मंथन दंड के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
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देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे।
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वासुकी नाग रस्सी की तरह लिपटा था, और मंदराचल पर्वत को मंथन के केंद्र में रखा गया।
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मंथन से अमृत और अनेक रत्न प्राप्त हुए, जो आज भी पुराणों में वर्णित हैं।
मंदार पर्वत को भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल भी माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान ने अनेक बार अवतार लेकर धर्म की रक्षा की।
जैन धर्म में मंदार का महत्व
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी मंदार पर्वत अत्यंत पवित्र है। यहाँ बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने दीक्षा और कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था। पहाड़ी की चोटी पर स्थित जैन मंदिर उनकी स्मृति में बना हुआ है।
पापहरनी तालाब – पवित्र स्नानस्थल
पर्वत के समीप स्थित पापहरनी तालाब स्थानीय और बाहरी दोनों ही श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
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कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मानसिक-शारीरिक स्फूर्ति मिलती है।
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तालाब के मध्य में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का मंदिर स्थित है।
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तालाब का नीला, निर्मल जल और चारों ओर की हरियाली अद्भुत दृश्य बनाते हैं।
मई की गर्मी में भी तालाब के पास खड़े रहना मन को ठंडक देता है।
आदिवासी संस्कृति और मकर संक्रांति मेला
मंदार पर्वत केवल धार्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति का भी गढ़ है। यहाँ के संथाल आदिवासी इस क्षेत्र को सिद्धि क्षेत्र मानते हैं।
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मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व, पूरी रात सिद्धि पूजा का आयोजन होता है।
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मकर संक्रांति के दिन यहाँ सबसे बड़ा संताली मेला लगता है।
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लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस मेले में भाग लेने आते हैं।
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मेले में लोकनृत्य, पारंपरिक गीत और हस्तशिल्प वस्तुएँ देखने लायक होती हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पुरातात्विक धरोहर
मंदार पर्वत की सबसे अद्भुत बात है इसका प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक अवशेषों का संगम।
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पर्वत की चट्टानों पर बनी प्राचीन मूर्तियाँ, गुफाएँ और ध्वस्त चैत्य।
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चट्टानों पर समुद्र मंथन से जुड़ी आकृतियाँ और शिलालेख।
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आस-पास फैली हरियाली और पक्षियों की चहचहाहट, जो माहौल को जीवंत बनाती है।
जब मैं मई 2011 में यहाँ पहुँचा था, तो मेरे जलचजन प्रोजेक्ट की साइट तालाब के पास ही थी। काम के दौरान भी मेरी नज़र बार-बार उस ऐतिहासिक और पवित्र पर्वत की ओर चली जाती थी।
मेरा अनुभव – एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा
परीक्षा के सिलसिले में पहुँचना था, लेकिन यह यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव में बदल गई।
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तालाब किनारे बैठकर घंटों पानी के प्रवाह और आसपास के दृश्यों को निहारना।
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मंदिर में बजते घंटे और मंत्रोच्चार से मन में अजीब-सी शांति महसूस होना।
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स्थानीय लोगों से बातचीत में उनकी सरलता और संस्कृति का परिचय मिलना।
शाम होते-होते पहाड़ पर पड़ती सुनहरी धूप का दृश्य अविस्मरणीय था।
मंदार पर्वत की यात्रा टिप्स
कब जाएँ
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सबसे अच्छा समय मकर संक्रांति (जनवरी) के आसपास है, जब मेला लगता है।
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हालांकि, अगर भीड़ से बचना चाहें तो अक्टूबर से मार्च के बीच जाएँ।
क्या लेकर जाएँ
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पानी की बोतल, टोपी और सनस्क्रीन (धूप से बचाव के लिए)।
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कैमरा (यहाँ के दृश्य और मूर्तियाँ कैद करने लायक हैं)।
कहाँ ठहरें
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बाँका या भागलपुर में होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
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स्थानीय धर्मशालाओं में भी ठहर सकते हैं।
क्या खाएँ
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स्थानीय व्यंजन जैसे लिट्टी-चोखा, धूसका, और मौसमी मिठाइयाँ जरूर चखें।
निष्कर्ष – मंदार पर्वत क्यों खास है?
मंदार पर्वत केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम है। यहाँ आपको
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पौराणिक कथाओं का जीवंत अनुभव मिलेगा,
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आदिवासी संस्कृति की झलक मिलेगी,
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और प्रकृति की गोद में सुकून के पल मिलेंगे।
मई 2011 की वह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट की फील्ड वर्क नहीं थी, बल्कि जीवन में मिले उन अनमोल अनुभवों में से एक थी, जो मन को बार-बार उस जगह की ओर खींच लाती है।
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| पापहरनी तालाब: यह मंदार पर्वत के निकट स्थित है और इसे विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है। |

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