खजुराहो का नाम सुनते ही मन में एक अजीब-सी उत्सुकता और रोमांच जाग उठता है। यह केवल एक स्थान का नाम नहीं, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास का एक जीवंत संग्रहालय है, जहाँ हर पत्थर एक कहानी सुनाता है। जब मैंने इस प्राचीन नगरी की यात्रा का निश्चय किया, तो मन में उन अद्भुत मंदिरों को देखने की बेचैनी थी, जिनके बारे में अब तक मैंने केवल किताबों और तस्वीरों में देखा-सुना था।
जून 2011 की उस यात्रा में, जैसे ही मैं खजुराहो पहुँचा, ऐसा महसूस हुआ मानो मैं समय के किसी और युग में प्रवेश कर चुका हूँ। आधुनिक शहरों के शोर-शराबे और चकाचौंध से दूर, यहाँ का वातावरण शांत, गंभीर और प्राचीनता की महक से भरा हुआ था। दूर-दूर तक फैले मंदिर समूह, उनकी भव्य नक्काशी और अनूठी वास्तुकला ने मुझे विस्मित कर दिया।
मंदिरों की नक्काशी इतनी बारीक और जीवंत थी कि लगता था मानो इन पत्थरों ने समय को रोक लिया हो और सदियों पुरानी कहानियों को आज तक सहेज रखा हो। हर दीवार, हर मूर्ति और हर शिल्प जीवन के किसी न किसी पहलू को बयाँ करता था।
मंदिरों का अनोखा संग्रह: जीवन का दर्पण
खजुराहो के मंदिरों की सबसे खास बात यह है कि ये केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि जीवन का संपूर्ण दर्शन प्रस्तुत करते हैं। इन मंदिरों में हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर मौजूद हैं, जो उस समय की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक मेलजोल का प्रमाण हैं।
यहाँ की मूर्तियों में केवल देवी-देवताओं की आकृतियाँ ही नहीं, बल्कि प्रेम, रति, नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार, दैनिक जीवन, जन्म और मृत्यु के दृश्य भी बड़ी सहजता से उकेरे गए हैं। यह कला हमें यह संदेश देती है कि जीवन के हर पहलू — चाहे वह आध्यात्मिक हो या सांसारिक — को समान महत्व देना चाहिए।
मूर्तियों में भावनाओं की गहराई इतनी स्पष्ट है कि लगता है जैसे ये पत्थर सांस ले रहे हों। कलाकारों ने मानो शिलाओं में प्राण फूँक दिए हों। यह सिर्फ कला नहीं, बल्कि उस समय के समाज का दार्शनिक दृष्टिकोण है, जो हमें संतुलन और आनंद से जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
कंदरिया महादेव मंदिर: वास्तुकला का शिखर
खजुराहो के सभी मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर सबसे भव्य और प्रसिद्ध है। यह मंदिर चंदेल वंश की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। विशाल आकार, ऊँचे शिखर और बारीक नक्काशी इसे अद्वितीय बनाते हैं।
जब मैंने इस मंदिर को पहली बार देखा, तो उसकी भव्यता ने मुझे अवाक कर दिया। इसकी दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियाँ इतनी सजीव थीं कि लगता था वे कभी भी बोल उठेंगी। हर आकृति में एक अलग कहानी और भावना छिपी थी — कहीं भक्ति, कहीं प्रेम, कहीं वीरता और कहीं जीवन के उल्लास का चित्रण।
मंदिर के शिखर की ऊँचाई और इसकी सजावट उस दौर के कारीगरों की अद्भुत प्रतिभा का प्रमाण है। यह केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक स्थापत्य रत्न है, जो आज भी दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लाइट एंड साउंड शो: इतिहास का पुनर्जन्म
खजुराहो का अनुभव तब और जीवंत हो गया, जब शाम को मैंने यहाँ का प्रसिद्ध लाइट एंड साउंड शो देखा। रंग-बिरंगी रोशनी और सुमधुर ध्वनि के माध्यम से यहाँ के मंदिरों का इतिहास, चंदेल राजाओं का शासनकाल, उनकी संस्कृति और कला के प्रति उनका प्रेम दर्शाया गया।
इस शो ने जैसे अतीत को वर्तमान में ला खड़ा किया हो। पत्थर की दीवारें मानो जीवित होकर अपनी कहानी कह रही थीं — निर्माण की गाथा, युद्ध की कथाएँ, प्रेम और आस्था की मिसालें। यह अनुभव इतना मोहक था कि मैं क्षणभर के लिए स्वयं को उस दौर में महसूस करने लगा।
खजुराहो की यात्रा: मेरी अनुभूति
इस यात्रा ने मुझे केवल ऐतिहासिक ज्ञान ही नहीं दिया, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव भी रहा। यहाँ के मंदिर हमें यह याद दिलाते हैं कि भारत की कला और संस्कृति कितनी समृद्ध रही है।
पत्थरों पर उकेरी गई कहानियों ने मुझे सिखाया कि जीवन का हर रूप सुंदर है — भक्ति, प्रेम, उत्सव, संघर्ष, सबका अपना महत्व है।
यात्रा से जुड़े सुझाव
1. सबसे अच्छा समय
खजुराहो घूमने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से मार्च है। इस मौसम में यहाँ का तापमान सुहावना रहता है और लंबे समय तक घूमने में थकान कम होती है।
2. कैसे पहुँचें
हवाई मार्ग: खजुराहो का अपना एयरपोर्ट है, जो दिल्ली, वाराणसी और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
रेल मार्ग: खजुराहो रेलवे स्टेशन से सतना, झाँसी, कानपुर और दिल्ली के लिए ट्रेनें मिलती हैं।
सड़क मार्ग: बस और टैक्सी सेवाएँ आसपास के बड़े शहरों से आसानी से उपलब्ध हैं।
3. ठहरने की व्यवस्था
यहाँ हर बजट के अनुसार होटल और गेस्ट हाउस मिल जाते हैं — लग्जरी रिसॉर्ट से लेकर साधारण लॉज तक। अग्रिम बुकिंग करना बेहतर रहता है, खासकर पर्यटन सीजन में।
4. स्थानीय परिवहन
टैक्सी, ऑटो रिक्शा और साइकिल रेंटल के जरिए मंदिरों और आसपास के स्थलों का भ्रमण आसानी से किया जा सकता है।
5. विशेष आकर्षण
पश्चिमी मंदिर समूह
पूर्वी एवं दक्षिणी मंदिर समूह
खजुराहो डांस फेस्टिवल (फरवरी में)
पन्ना नेशनल पार्क (करीब 45 किमी दूर)
निष्कर्ष
खजुराहो केवल पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक अनुभव है — कला का, इतिहास का, और जीवन के दर्शन का। यहाँ के मंदिर हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और यह याद दिलाते हैं कि हमारी संस्कृति कितनी गहरी और बहुआयामी है।
मेरे लिए खजुराहो की यह यात्रा जीवन भर याद रहने वाला अनुभव रही। अगर आप भी इतिहास, कला और संस्कृति से प्रेम करते हैं, तो खजुराहो आपके दिल में एक स्थायी छाप छोड़ देगा।
nice temple looking |
praveen kumar pathak in khagaraho temple campus |
pathak with beautiful temple |
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