मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

खजुराहो की यात्रा...

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है।

खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। यह शहर चन्देल साम्राज्‍य की प्रथम राजधानी था। चन्देल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे। चन्द्रवर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे। वे अपने आप का चन्द्रवंशी मानते थे। चंदेल राजाओं ने दसवीं से बारहवी शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया। मंदिरों के निर्माण के बाद चन्देलो ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरित कर दी। लेकिन इसके बाद भी खजुराहो का महत्व बना रहा।
मध्यकाल के दरबारी कवि चन्द्रवरदायी ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में चन्देल की उत्पत्ति का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक दिन वह गर्मियों की रात में कमल-पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी। उसकी सुंदरता देखकर भगवान चन्द्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारणकर धरती पर आ गए और हेमवती का हरण कर लिया। दुर्भाग्य से हेमवती विधवा थी। वह एक बच्चे की मां थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर अपना जीवन नष्ट करने और चरित्र हनन का आरोप लगाया।
अपनी गलती के पश्चाताप के लिए चन्द्र देव ने हेमवती को वचन दिया कि वह एक वीर पुत्र की मां बनेगी। चन्द्रदेव ने कहा कि वह अपने पुत्र को खजूरपुरा ले जाए। उन्होंने कहा कि वह एक महान राजा बनेगा। राजा बनने पर वह बाग और झीलों से घिरे हुए अनेक मंदिरों का निर्माण करवाएगा। चन्द्रदेव ने हेमवती से कहा कि राजा बनने पर तुम्हारा पुत्र एक विशाल यज्ञ का आयोजन करगा जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे। चन्द्र के निर्देशों का पालन कर हेमवती ने पुत्र को जन्म देने के लिए अपना घर छोड़ दिया और एक छोटे-से गांव में पुत्र को जन्म दिया।
हेमवती का पुत्र चन्द्रवर्मन अपने पिता के समान तेजस्वी, बहादुर और शक्तिशाली था। सोलह साल की उम्र में वह बिना हथियार के शेर या बाघ को मार सकता था। पुत्र की असाधारण वीरता को देखकर हेमवती ने चन्द्रदेव की आराधना की जिन्होंने चन्द्रवर्मन को पारस पत्थर भेंट किया और उसे खजुराहो का राजा बनाया। पारस पत्थर से लोहे को सोने में बदला जा सकता था।
चन्द्रवर्मन ने लगातार कई युद्धों में शानदार विजय प्राप्त की। उसने कालिंजर का विशाल किला बनवाया। मां के कहने पर चन्द्रवर्मन ने तालाबों और उद्यानों से आच्छादित खजुराहो में 85 अद्वितीय मंदिरों का निर्माण करवाया और एक यज्ञ का आयोजन किया जिसने हेमवती को पापमुक्त कर दिया। चन्द्रवर्मन और उसके उत्तराधिकारियों ने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया।
शाम को इस परिसर में अमिताभ बच्चन द्वारा रचित लाईट एंड साउंड कार्यक्रम प्रद्रर्शित किया जाता है। यह कार्यक्रम खजुराहो के इतिहास को जीवंत कर देता है। इस कार्यक्रम का आनंद उठाने के लिए भारतीय नागरिक से प्रवेश शुल्क ५० रूपये और विदेशियों से २०० रूपये का शुल्क लिया जाता है। सितम्बर से फरवरी के बीच अंग्रेजी में यह कार्यक्रम शाम ७ बजे से ७:५० तक होता है जबकि हिन्दी का कार्यक्रम रात आठ से नौ बजे तक आयोजित किया जाता है। मार्च से अगस्त तक इस कार्यक्रम का समय बदल जाता है। इस अवधि में अंग्रेजी कार्यक्रम शाम ७:३० -८:२० के बीच होता है। हिन्दी भाषा में समय बदलकर ८:४० - ९:३० हो जाता है।

खजुराहो जाने के लिए अपनी सुविधा के अनुसार वायु, रेल या सड़क परिवहन को अपनाया जा सकता है।
वायु मार्ग
खजुराहो वायु मार्ग द्वारा दिल्ली, वाराणसी, आगरा और काठमांडु से जुड़ा हुआ हैं। खजुराहो एयरपोर्ट सिटी सेन्टर से तीन किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग
खजुराहो रेलवे स्टेशन से दिल्ली और वाराणसी के लिए रेल सेवा है। दिल्ली और मुम्बई से आने वाले पर्यटकों के लिए झांसी भी सुविधाजनक रेलवे स्टेशन है। जबकि चेन्नई और वाराणसी से आने वालों के लिए सतना अधिक सुविधाजनक होगा। नजदीकी और सुविधाजनक रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस के माध्यम से खजुराहो पहुंचा जा सकता है। सड़कों की स्थिति ठीक‒ठाक है।
सड़क मार्ग
खजुराहो महोबा, हरपालपुर, छतरपुर, सतना, पन्ना, झांसी, आगरा, ग्वालियर, सागर, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, वाराणसी और इलाहाबाद से नियमित और सीधा जुड़ा हुआ है। दिल्ली के राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से पलवल, कौसी कला और मथुरा होते हुए आगरा पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 3 से धौलपुर और मुरैना के रास्ते ग्वालियर जाया जा सकता है। उसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 75 से झांसी, मउरानीपुर और छतरपुर से होते हुए बमीठा और वहां से राज्य राजमार्ग की सड़क से खजुराहो पहुंचा जा सकता है।

         




nice temple looking 


praveen kumar pathak in khagaraho temple campus 

pathak with beautiful temple 


















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