वर्ष 2014, एक ऐसा साल था जब जीवन की व्यस्तता और कुछ आर्थिक चुनौतियों ने यात्रा के मेरे सपनों को थोड़ा धुंधला कर दिया था। घर बनाने की जिम्मेदारी ने मेरे कदमों को बांध रखा था। परंतु, नए साल की शुरुआत के साथ ही मेरे मन में एक नई उम्मीद जग गई। राजस्थान आजीविका विकास परिषद से जुड़ी 47 महिलाओं के साथ मुजफ्फरपुर में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम ने मुझे एक अनोखा अवसर दिया। ग्राम संगठन के शैक्षणिक भ्रमण के लिए वैशाली के समीप सरैया प्रखंड के रूपौली गांव में जयहिंद ग्राम संगठन का दौरा किया गया। इस यात्रा ने न केवल मुझे बल्कि राजस्थान से आई महिलाओं को भी भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय से रूबरू कराया।
वैशाली: विश्व का पहला गणतंत्र
रूपौली गांव से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वैशाली, विश्व का पहला गणतंत्र था। भगवान महावीर का जन्मस्थान होने के कारण यह जैन धर्म के लिए भी एक पवित्र स्थल है। इसके अलावा, भगवान बुद्ध का भी इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ था। वैशाली में स्थित बौद्ध स्तूप और अशोक स्तंभ इस बात के साक्षी हैं।
यात्रा का आरंभ
ग्राम संगठन की बैठक के बाद हम वैशाली की ओर रवाना हुए। यहां पर कई अच्छी होटल और एक बौद्ध स्तूप भी है। हमने तलाब में नाव की सवारी का भी आनंद लिया। इसके बाद हम कोल्हुआ गए जहां अशोक स्तंभ स्थित है। यह स्थल मुजफ्फरपुर से 35 किलोमीटर और पटना से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चारों ओर आम और लीची के पेड़ों से घिरा यह स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
वैशाली का इतिहास
वैशाली का नामकरण महाभारत काल के एक राजा विशाल के नाम पर हुआ था। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलंबियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्वपूर्ण था।
- अभिषेक पुष्करणी: प्राचीन वैशाली गणराज्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व बनवाया गया पवित्र सरोवर है।
- विश्व शांति स्तूप: जापान के निप्पोनजी बौद्ध समुदाय द्वारा बनवाया गया यह स्तूप शांति का प्रतीक है।
- बावन पोखर मंदिर: पालकालीन यह मंदिर हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित है।
- राजा विशाल का गढ़: यह प्राचीनतम संसद माना जाता है।
- कुण्डलपुर: भगवान महावीर का जन्मस्थान।
यात्रा का अनुभव
वैशाली की यात्रा ने मुझे इतिहास के उस सुनहरे अध्याय से रूबरू कराया जब भारत लोकतंत्र का गढ़ था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया। राजस्थान से आई महिलाओं के लिए भी यह यात्रा एक यादगार अनुभव रही। हमने न केवल इतिहास के बारे में जाना बल्कि एक-दूसरे के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किए।
निष्कर्ष
वैशाली की यात्रा ने मुझे यह समझाया कि हमारा देश कितना समृद्ध इतिहास और संस्कृति का धरोहर है। हमें अपने अतीत को समझना चाहिए और उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस यात्रा ने मुझे एक नई ऊर्जा दी है और मुझे और भी यात्राएं करने के लिए प्रेरित किया है।
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वैशाली में बना विश्व शांति स्तुप |
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कोल्हूआ का बोध स्तूप एवं अशोक स्तम्भ |
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कोल्हूआ बौध स्तूप जाने का मुख्य द्वार |
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कोल्हूआ बौध स्तूप के अन्दर का फोटु |
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कोल्हूआ का स्तुप |
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स्तुप गेट के बाहर का चित्र |
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भगवान महावीर का जन्म स्थल कुण्उलग्राम |
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भगवान महावीर का मन्दिर कहा जाता है की यहां पर ही महावीर का जनम हुआ था |
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यहां पर खाने पिने का व्यवस्था है कुण्डलग्राम में |
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कोल्हूआ में बौध स्तूप के साथ अशोक कालिन स्तम्भ |
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पोखर जो बौध स्तुप के पास है |
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कुण्डलग्राम में बना मुख्य मन्दिर के पास का होटल यहां पर रात्री विश्राम किया जा सकता है |
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