मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

केसरिया का बौध स्‍तूप

    


3  फरवरी को मुजफफरपुर के साहेबगंज प्रखण्‍ड में परियोजना के कार्य हेतु गया कार्य था स्‍वर्ण जयन्‍ती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत बने भवनो को पहचान करने एवं साहेबगंज प्रखण्ड के प्रखण्‍ड विकास पदाधिकारी एवं जीविका परियोजना के प्रखण्‍ड परियोजना प्रबंधक से मिल कर भवनो के स्थिति से अवगत कराने के लिए  इस क्रम में भवन की स्थिति देखने के लिए बैधनाथपुर ग्राम में बने भवन का निरीक्षण करने के लिए गया भवन की स्‍थिति  तो अच्‍छी   थी परन्तु फर्श टुटा हुआ था गांव वाले के द्वारा पता चला की इस भवन का उपयोग गांव वाले किसी कार्यक्रम में करते है इस कारण इसकी स्थिति अच्छी  नही है तब ही पता चला की यहा से केसरिया मात्र 6 कि मी की दुरी पर है तो सोचा क्‍यो ना जा कर धुम आउ तो चल दिया केसरीया धुमने के लिए। 
तो आइए जानते है केसरिया स्तुप के बारे में  केसरिया चंपारण से ३५ किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज-चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है। 


यह पुरातात्विक महत्व का प्राचीन ऐतिहासिक स्थल हैयहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है। केसरिया एक महत्‍वपूर्ण बौद्ध स्‍थल हैयह चंपारण में स्थित एक छोटा सा शहर है जो गंडक नदी के किनारे बसा हुआ हैइसका इतिहास काफी पुराना व समृद्ध हैबौद्ध तीर्थस्‍थलों में इसका महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। 

बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बिताई थी तथा लिच्‍छवियों को अपना भिक्षा-पात्र प्रदान किया था।कहा जाता है कि जब भगवान बुद्ध यहां से जाने लगे तो लिच्‍छवियों ने उन्‍हें रोकने का काफी प्रयास किया लेकिन जब लिच्‍छवि नहीं माने तो भगवान बुद्ध ने उन्‍हें रोकने के लिए नदी में कृत्रिम बाढ़ उत्‍पन्‍न की इसके पश्‍चात् ही भगवान बुद्ध यहां से जा पाने में सफल हो सके थे ।सम्राट अशोक ने यहां एक स्‍तूप का निर्माण करवाया था। इसे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍तूप माना जाता है भगवान बुद्ध जब महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे तो वह एक दिन के लिए केसरिया में ठहरें थे। जिस स्‍थान पर पर वह ठहरें थे उसी जगह पर कुछ समय बाद सम्राट अशोक ने स्‍मरण के रुप में स्‍तूप का निर्माण करवाया था। इसे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍तूप माना जाता है।वर्तमान में यह स्‍तूप 1400 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 51 फीट हैअलेक्‍जेंडर कनिंघम के अनुसार मूल स्‍तूप 70 फीट ऊंचा था। केसरिया जाने के लिए मोतिहारी नजदीकी रेलवे स्टेशन है एवं यहां पर सडक मार्ग से भी आया जा सकता है। रहने ठहरने का व्‍यवस्‍था  मोतीहारी में हो सकता है । 


केसरिया का बोध स्‍तूप विश्‍व का सबसे बडा स्‍तूप 


स्‍तूप को साफ सफाई का काम चल रहा है 1993 से यहां पर खुदाई चल रही हे 

स्‍तूप का कुछ हिस्‍सा साफ हो चुका है आधा हिस्‍सा बाकी है 

स्‍तूप के नजदीक एक रोचक वूक्ष 

सफाई करते कर्मी 





इसी भवन को देखने के लिए गया था जिसमें ग्राम संगठन संगठन की कार्यालय खोने को प्रस्‍ताव है 







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