हमने यात्रा की शुरुआत एक टेम्पो से की। कम दूरी के सफर के लिए यह साधन बेहद सुविधाजनक है। रास्ते में टेम्पो की धीमी रफ्तार, बच्चों की नटखट बातें और हँसी-मजाक से माहौल खुशनुमा हो गया। खिड़की से बाहर झाँकते हुए हमें छोटे-छोटे पहाड़, हरे-भरे खेत, खलिहान और पेड़ों की कतारें दिखाई देती रहीं।
एक घंटे का सफर कब बीत गया, पता ही नहीं चला और हम उमगा पहाड़ के करीब पहुँच गए।
गाँव का जीवन और स्थानीय बाजार की झलक..
जैसे ही हाईवे NH-2 से टेम्पो नीचे उतरा, हम पतली पगडंडी वाली गली में प्रवेश कर गए। यहाँ छोटे-छोटे स्थानीय बाजार थे। मिठाई की खुशबू, खिलौनों के रंग-बिरंगे ठेले, और सब्जियों से भरी टोकरियाँ—सब मिलकर उस जगह को जीवंत बना रहे थे।
ये बाजार न केवल गाँव के आर्थिक जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि यहाँ के लोग इन्हीं साधनों से अपनी आजीविका चलाते हैं। यह देखना सुखद था कि आधुनिकता से दूर यह क्षेत्र अपनी सादगी और आत्मनिर्भरता में कितना सुंदर है।
उमगा पहाड़ की चढ़ाई – प्रकृति और आस्था का संगम..
मंदिर के करीब पहुँचते ही रास्ते ऊँचे और घुमावदार हो गए। टेम्पो को छाँव में रोककर हम पैदल सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगे। शुरू में लगा कि सीढ़ियाँ ज्यादा लंबी नहीं होंगी, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, अहसास हुआ कि यह तो एक लंबा और रोमांचक सफर है।
रास्ते में कई छोटे-छोटे मंदिर थे। हवा में घुली अगरबत्ती की खुशबू, आसपास का शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य मन को शांति दे रहा था। दूर-दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ों के नज़ारे एक चित्र-पट की तरह लग रहे थे।
उमगा सूर्य मंदिर – शांति और श्रद्धा का अनुभव...
अंततः हम उमगा सूर्य मंदिर पहुँचे। यह मंदिर न केवल भव्य है, बल्कि इसकी प्राकृतिक स्थिति इसे और भी खास बनाती है। हाथ-पाँव धोकर हमने मंदिर में प्रवेश किया। अंदर का वातावरण बेहद शांत, ठंडा और मन को सुकून देने वाला था।
दर्शन करने के बाद हम कुछ देर मंदिर परिसर में बैठकर प्रार्थना करते रहे। वहाँ की ऊर्जा ऐसी थी, जैसे हर थकान और चिंता पिघल गई हो। बाहर निकलकर हमने कई सुंदर तस्वीरें लीं।
ऊपर की ओर बढ़ते हुए हमें और मंदिर और एक बड़ी चट्टान के नीचे पूजा करते श्रद्धालु मिले। हालांकि गर्मी और बच्चों की थकान को देखते हुए हमने वापस लौटने का निर्णय लिया।
स्थानीय स्वाद और आतिथ्य...
नीचे उतरने के बाद हमने एक झोपड़ीनुमा होटल में गरमागरम समोसे और जलेबी खाई। स्थानीय स्वाद में जो अपनापन होता है, वह किसी भी बड़े रेस्टोरेंट में नहीं मिल सकता। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम देव सूर्य मंदिर की ओर रवाना हुए।
देव सूर्य मंदिर – इतिहास, वास्तुकला और आस्था का अद्भुत संगम...
उमगा से करीब 12 किलोमीटर की दूरी तय कर हम देव सूर्य मंदिर पहुँचे। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
इतिहास के अनुसार, यह मंदिर 8वीं सदी में चंद्रवंशी राजा भैरवेंद्र सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसकी ऊँचाई लगभग 100 फीट है और इसका डिजाइन ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर जैसा है। सबसे अनोखी बात यह है कि यह मंदिर पश्चिम की ओर मुख करता है, जबकि अधिकांश सूर्य मंदिर पूर्वमुखी होते हैं।
यहाँ दर्शन करने के बाद हम मंदिर परिसर में बैठकर कुछ समय बिताए और सुंदर तस्वीरें लीं।
छठ पूजा का केंद्र...
देव सूर्य मंदिर का नाम आते ही बिहार के सबसे पवित्र पर्व—छठ पूजा—का स्मरण हो जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। मंदिर के पास स्थित दो पवित्र तालाब इस अनुष्ठान के मुख्य स्थल हैं। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व तप, संयम और आस्था का अद्भुत उदाहरण है।
स्थानीय बाजार और स्वादिष्ट व्यंजन..
मंदिर दर्शन के बाद हम आसपास के बाजार में घूमे। यहाँ की टमाटर चाट का स्वाद लाजवाब था। बच्चों ने खिलौने खरीदे और हम सबने स्थानीय मिठाइयों का आनंद लिया। यह समय ऐसा था, जब परिवार के साथ बिताया हर पल दिल में बस गया।
औरंगाबाद के प्रमुख पर्यटक आकर्षण
1. उमगा सूर्य मंदिर – पहाड़ पर स्थित, शांत वातावरण और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का स्थल।
2. देव सूर्य मंदिर – प्राचीन वास्तुकला, छठ पूजा का केंद्र और अनूठी पश्चिममुखी दिशा।
इनके अलावा औरंगाबाद जिले में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जो सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं।
इस यात्रा का मेरे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव
यह यात्रा सिर्फ एक सैर नहीं थी, बल्कि मेरे जीवन में नई सोच और ऊर्जा का संचार करने वाली घटना थी।
परिवार के साथ समय – रोज़मर्रा की व्यस्तता में परिवार के साथ इतना गुणवत्तापूर्ण समय बिताना संभव नहीं हो पाता। इस यात्रा ने हमें और करीब ला दिया।
आध्यात्मिक शांति – उमगा और देव मंदिर की पवित्रता ने मेरे मन को स्थिर और शांत किया। यह अनुभव रोज़मर्रा की चिंताओं को पीछे छोड़ने का अवसर था।
संस्कृति से जुड़ाव – इन स्थलों के इतिहास और परंपराओं ने मुझे अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा दी।
प्रकृति का आनंद – पहाड़, हरियाली और साफ हवा ने मानसिक और शारीरिक रूप से तरोताजा कर दिया।
निष्कर्ष
उमगा पहाड़ और देव सूर्य मंदिर की यह यात्रा मेरे जीवन की अविस्मरणीय स्मृतियों में शामिल हो गई है। यहाँ की सुंदरता, शांति और आध्यात्मिकता हर यात्री के दिल को छू लेती है। अगर आप बिहार के औरंगाबाद जिले में हैं, तो इन स्थानों की यात्रा जरूर करें। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाला अनुभव है।
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सूर्य मंदिर ,उमंगा |
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देव सूर्य मंदिर |
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