भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित केदारनाथ, हिंदू धर्म के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर, अपनी प्राचीनता और भव्यता के लिए जाना जाता है। मैंने हाल ही में इस पवित्र स्थल की यात्रा की और वह अनुभव अविस्मरणीय रहा।
मैंने अपनी यात्रा हरिद्वार से शुरू की। हरिद्वार से गौरीकुंड तक मोटर मार्ग से यात्रा की। गौरीकुंड से केदारनाथ तक का 14 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय किया गया। रास्ता थोड़ा कठिन था, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए यह यात्रा बहुत ही सुखद रही।
केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर की वास्तुकला अत्यंत खूबसूरत है। मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। मंदिर के चारों ओर कई छोटे-छोटे मंदिर और कुंड भी हैं।
पंचकेदार
केदारनाथ के आसपास पांच अन्य स्थानों को पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। इनमें तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मदमेश्वर और कल्पेश्वर शामिल हैं। इन स्थानों पर भी भगवान शिव के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
यात्रा के अनुभव
केदारनाथ की यात्रा ने मुझे आध्यात्मिक शांति प्रदान की। यहां का वातावरण बहुत ही शांत और पवित्र है। मंदिर में दर्शन करने के बाद मन में एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है।
यात्रा के दौरान सावधानियां
- केदारनाथ की यात्रा के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।
- यात्रा के दौरान गर्म कपड़े, टॉर्च, पानी की बोतल और पहचान पत्र जरूर साथ रखें।
- यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों की सलाह का पालन करें।
निष्कर्ष
केदारनाथ की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव है। यदि आप आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो केदारनाथ की यात्रा अवश्य करें।- केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
- दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
- पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
- पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
- रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
- शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छ: माह *बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है।
- ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं। इसी प्रतिमा की पूजा यहाँ भी रावल जी करते हैं।
- केदारनाथ में जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है
उतराखण्ड के गुप्त काशी से दिखाता चौखम्भा चोटी |
केदारनाथ से 6 कि मी पहले रामबाडा |
रामबाडा से दिखता गरूडचटी एंव हिमालय पर्वत शिखर |
केदारधाटी |
केदारधाटी में बहता मनमोहक झरना |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें