रविवार, 17 अगस्त 2025

राजगीर यात्रा: गर्म कुंड से लेकर जू सफारी तक का रोमांचक सफर...

        राजगीर, बिहार के नालंदा जिले में स्थित, एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास, धर्म और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक केंद्र भी है, जहाँ भगवान बुद्ध और महावीर ने अपने उपदेश दिए। यह धरती अपने आप में कई कहानियों को समेटे हुए है। हाल ही में, मुझे अपने परिवार के साथ इस पवित्र धरती की यात्रा करने का अवसर मिला, और यह अनुभव हमारे लिए अविस्मरणीय रहा।

वर्षों बाद, एक बार फिर से राजगीर जाने का मन हुआ। मेरे दोनों बच्चे, दिव्यांशु और प्रियांशु, और मेरी पत्नी, अनिता, ने भी कई बार यहाँ जाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने YouTube पर राजगीर के बारे में बहुत कुछ देखा था, जिससे उनका उत्साह और भी बढ़ गया था। 16 अगस्त, 2025 की तारीख तय की गई। यात्रा की शुरुआत 15 अगस्त को जहानाबाद से हुई, जहाँ मेरे पिताजी, भाई और बहन रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस की रात हमने वहीं बिताई, और अगले दिन 16 अगस्त को दोपहर 12:10 बजे हम जहानाबाद से इस्लामपुर होते हुए राजगीर के लिए रवाना हुए। हमारी गाड़ी धीरे-धीरे जहानाबाद की सड़कों को पीछे छोड़ रही थी। खिड़की से बाहर का दृश्य बेहद मनोरम था। हरे-भरे खेत, दूर दिखते गाँव और बीच-बीच में आते छोटे-छोटे बाजार, सब कुछ बहुत सुकून देने वाला था। बच्चों ने रास्ते भर गाने गाए और एक-दूसरे के साथ खेल-कूद की। लगभग 70 किलोमीटर की यह यात्रा शाम 5 बजे तक पूरी हो गई, और जैसे ही हम राजगीर पहुँचे, शहर की हरियाली और शांति ने हमारा स्वागत किया।

राजगीर: गर्म कुंड और गुरुद्वारा का अद्भुत संगम..

राजगीर में हमने बस स्टैंड के पास ही एक साधारण मगर साफ-सुथरे होटल में चेक इन किया। थोड़ा आराम करने के बाद, हमने शाम को राजगीर के प्रसिद्ध गर्म कुंड का दौरा करने का निर्णय लिया। यह कुंड प्राकृतिक रूप से बना है और यहाँ का पानी साल भर गर्म रहता है। यह एक प्राचीन और आस्था का केंद्र है, जहाँ लोग दूर-दूर से आकर स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस कुंड के पानी में स्नान करने से चर्म रोग जैसी कई बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। बच्चों ने इस जगह का खूब आनंद लिया, हालांकि वे पानी की गर्मी से थोड़ा हैरान भी थे।
कुंड के बाद, हम लोगों ने वहाँ से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित एक भव्य गुरुद्वारा का भ्रमण किया। यह गुरुद्वारा 2024 में ही बना था और अपनी संगमरमर की भव्यता से मन मोह लेता है। सफेद संगमरमर की दीवारों पर की गई नक्काशी और शांत वातावरण ने हमें बहुत प्रभावित किया। यहाँ की शांति ने हमें कुछ पल के लिए दुनिया की भागदौड़ से दूर कर दिया।

अगले दिन, 17 अगस्त को, सुबह नाश्ता करने के बाद हम आगे की यात्रा के लिए तैयार थे। बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था, क्योंकि आज हम टमटम और रोप-वे की रोमांचक यात्रा करने वाले थे। दिव्यांशु और प्रियांशु ने घोड़े से खींची जाने वाली गाड़ी, जिसे टमटम भी कहते हैं, से यात्रा करने की इच्छा जताई। यह पूरे बिहार में अब सिर्फ राजगीर में ही उपलब्ध है। शुरुआत में बच्चे थोड़ा डरे, लेकिन हौसला बढ़ाने पर वे बैठे और इस अनोखी सवारी का खूब मजा लिया। टमटम से हम रोप-वे केंद्र पहुँचे। यहाँ से हमें पहाड़ पर स्थित विश्व शांति स्तूप तक जाना था। पहाड़ की चढ़ाई सीढ़ियों से भी की जा सकती है, लेकिन इसमें एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है, इसलिए हमने रोप-वे का विकल्प चुना। प्रति व्यक्ति 120 रुपये का टिकट लेकर हम रोप-वे पर बैठे। बच्चों के लिए यह एक रोमांचक अनुभव था। हवा में लटकती हुई छोटी सी ट्रॉली में बैठकर नीचे दिखती हरी-भरी वादियों का नजारा अविश्वसनीय था। रोप-वे से 10 मिनट में हम विश्व शांति स्तूप तक पहुँच गए। वहाँ का दृश्य बहुत ही मनमोहक था। चारों ओर हरी-भरी पहाड़ियाँ और वादियाँ देखकर मन प्रसन्न हो गया। यहाँ बंदरों की भी भरमार थी। दिव्यांशु ने खुशी-खुशी उन्हें बिस्किट खिलाए। यहाँ पर बना हुआ विश्व शांति स्तूप लगभग 60 साल पुराना है, और पास में ही एक बौद्ध मंदिर भी है। इस स्तूप की शांति और भव्यता ने हम सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जू सफारी: प्रकृति और वन्यजीवों का अनुभव...

विश्व शांति स्तूप से लौटने के बाद, हमने बिहार का पारंपरिक व्यंजन लिट्टी-चोखा का स्वाद लिया, जो बहुत ही स्वादिष्ट था। इसके बाद, हम जू सफारी के लिए रवाना हुए। यह बिहार सरकार द्वारा 2022 में बनाया गया एक बहुत ही आकर्षक केंद्र है। 250 रुपये प्रति व्यक्ति का टिकट लेकर हमने दोपहर 1 बजे इसमें प्रवेश किया।
जू सफारी में हमें एक वातानुकूलित (एयर-कंडीशंड) मेटाडोर में बैठाया गया, जिसने हमें 2 घंटे तक जंगल के भीतर घुमाया। इस दौरान, हमने अपनी आँखों से शेर, बाघ, भालू, चीता, हिरण और कई तरह के पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा। यह अनुभव हम सभी के लिए बहुत ही यादगार था। जू सफारी के अंदर एक छोटा सिनेमा हॉल और एक संग्रहालय भी है, जहाँ पृथ्वी के विकास और जीव-जंतुओं के बारे में 15 मिनट की फिल्म दिखाई जाती है। मैं बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग और जू सफारी के कर्मचारियों को उनके कुशल और व्यवस्थित कार्य के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ।

शाम 4 बज चुके थे और हमें औरंगाबाद लौटना था। घूमने के लिए और भी कई जगहें थीं, जैसे पावापुरी मंदिर, नेचर सफारी और नालंदा विश्वविद्यालय, लेकिन समय की कमी के कारण हम वहाँ नहीं जा पाए। जू सफारी के बाद हमने खाना खाया और बस से गया जी के लिए रवाना हुए। वहाँ से रात 7:35 बजे की गरीब रथ ट्रेन से हम रात 9 बजे तक औरंगाबाद पहुँच गए।
बच्चों ने कहा कि अगली बार हम सर्दियों के मौसम में राजगीर आएंगे और उन सभी जगहों को देखेंगे जो इस बार छूट गईं। यह यात्रा हमारे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव थी, जिसने हमें प्रकृति, इतिहास और धर्म के करीब आने का अवसर दिया।

राजगीर की यात्रा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी...

राजगीर कैसे पहुँचें?
राजगीर बिहार के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पटना, गया, नालंदा और जहानाबाद से नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। राजगीर का अपना रेलवे स्टेशन (RGD) है, जो पटना और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। सबसे नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन गया (GAYA) और पटना (PNBE) है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (GAY) है, जो यहाँ से लगभग 78 किलोमीटर दूर है। दूसरा नजदीकी हवाई अड्डा पटना का जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (PAT) है, जो लगभग 95 किलोमीटर दूर है।

राजगीर में घूमने लायक स्थल...

 * विश्व शांति स्तूप: यह रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित एक भव्य सफेद स्तूप है, जहाँ रोप-वे से पहुँचा जा सकता है।

 * गर्म कुंड (ब्रह्मकुंड): यह प्राचीन कुंड है जहाँ पहाड़ के अंदर से गर्म पानी निकलता है। यहाँ स्नान करना धार्मिक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है।

 * जू सफारी: हाल ही में बना यह सफारी पार्क है, जहाँ आप वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं।

 * नेचर सफारी: राजगीर में एक नया पर्यटन स्थल है, जहाँ शीशे के पुल (Glass Bridge) और जीप सफारी जैसी गतिविधियाँ हैं।

 * घोरा कटोरा झील: यह एक सुंदर प्राकृतिक झील है, जहाँ बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित है।

 * वेणुवन: भगवान बुद्ध का एक प्रिय विश्राम स्थल, जो एक सुंदर बांस के जंगल के रूप में जाना जाता है।

 * बिम्बिसार जेल: यह वह स्थान है जहाँ राजा बिम्बिसार को उनके बेटे अजातशत्रु ने कैद किया था।

 * सोन भंडार गुफाएं: ये गुफाएं जैन धर्म से जुड़ी हुई हैं और यहाँ प्राचीन शिलालेख मौजूद हैं।

 * नालंदा विश्वविद्यालय (लगभग 12 किलोमीटर दूर): यह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।

निष्कर्ष
राजगीर की यात्रा के लिए तीन से चार दिन का समय पर्याप्त होगा, ताकि आप सभी महत्वपूर्ण स्थलों का आराम से भ्रमण कर सकें। इस यात्रा से न केवल मनोरंजन मिलता है, बल्कि इतिहास और आध्यात्म से भी जुड़ने का मौका मिलता है। यह यात्रा हमारे परिवार के लिए एक ऐसा बंधन थी, जिसने हमें इतिहास और प्रकृति से जोड़कर एक-दूसरे के और भी करीब ला दिया। यह अनुभव हमारे दिल में हमेशा के लिए रहेगा।
क्या आप अपनी अगली यात्रा के लिए किसी और जगह के बारे में जानना चाहेंगे?


                             




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