बिहार के सासाराम शहर में स्थित शेर शाह सूरी का मकबरा, भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। इस मकबरे का निर्माण 16वीं शताब्दी में सूरी वंश के संस्थापक शेर शाह सूरी की याद में किया गया था। यह महान शासक जिसने मुगल साम्राज्य को चुनौती दी थी, उसकी याद में बना यह मकबरा आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
वास्तुशिल्प का एक उत्कृष्ट उदाहरण - शेर शाह सूरी का मकबरा इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मकबरा एक कृत्रिम झील के बीच में स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 122 फीट है और यह लगभग वर्गाकार आकार का है। इस मकबरे को अक्सर भारत का दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है।
मकबरे की खासियतें - अष्टकोणीय योजना: मुख्य मकबरा अष्टकोणीय योजना पर बनाया गया है, जिसके ऊपर एक विशाल गुंबद है।
झील और चबूतरा: मकबरा एक वर्गाकार पत्थर के चबूतरे पर झील के केंद्र में स्थित है।
सजावटी गुंबददार खोखे: मकबरे के चारों ओर सजावटी गुंबददार खोखे हैं जो कभी रंगीन चमकता हुआ टाइल के काम में शामिल थे।
सूरी वास्तुकला: मकबरे की झील को सूरी राजवंश द्वारा सुल्तान वास्तुकला के अफगान चरण में विकास के रूप में देखा जाता है।
कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग: सासाराम शहर के किसी भी कोने से बाई रोड आसानी से मकबरे तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: सासाराम एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। आप देश के विभिन्न राज्यों से आसानी से ट्रेन द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा गया ,Patna में स्थित है।
यात्रा का अनुभव - शेर शाह सूरी के मकबरे में पहुंचने पर आपको एक अद्भुत शांति का अनुभव होगा। झील के बीच में स्थित यह मकबरा आपको इतिहास के पन्नों में ले जाएगा। मकबरे की वास्तुकला और इसकी सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। शेर शाह सूरी का मकबरा भारत के इतिहास और वास्तुकला का एक अनमोल रत्न है। यह एक ऐसा स्थान है जिसे हर इतिहास प्रेमी और यात्री को अवश्य देखना चाहिए। यदि आप बिहार की यात्रा कर रहे हैं तो शेर शाह सूरी के मकबरे को अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करें।
1 टिप्पणी:
Nice
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