आज ही के दिन दिनांक 12 मई 2008 को मैं जीविका में SPMU में CC Post पर योगदान दिया था आज के दिन 12 वर्ष जीविका , बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति में पूरा हुआ ।इन 13 वर्षों में मैंने गया जिले के बोधगया में सामुदायिक समन्वयक एवं आमस तथा खीजरसराय प्रखंड में क्षेत्रीय समन्वयक पद पर कार्य किया इसके बाद जहानाबाद जिले के हुलासगंज प्रखंड में भी क्षेत्रीय समन्वयक पद पर कार्य किया एवं 10 अक्टूबर 2014 से मुजफ्फरपुर जिला में प्रशिक्षण अधिकारी पद पर अपना सेवा दिया इन 13 वर्षों में जीविका में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला यहां पर मैंने जीविका से अपनी आजीविका चलाया एवं साथ-साथ लाखों के संख्या में लोगों को बेहतर जीविका के लिए प्रयासरत रहा इन 13 वर्षों में मैंने काफी कुछ सीखा की जीवन को बेहतर तरीके से संचालित होने के लिए किन-किन चीजों की जीवन में आवश्यकता है एवं हमारे देश समाज ,परिवार ,गांव, शहर में किन कारणों से गरीबी लाचारी बेबसी एवं कई समस्याओं का क्या कारण है क्योंकि जीविका का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे अत्यंत गरीब परिवारों का जीवन को बेहतर एवं सामाजिक तथा आर्थिक रूप से संपन्न बनाना इसके लिए जीविका कई तरीके का कार्यक्रम एवं सरकार के अन्य विभागों संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित कर जीविका से जुड़े परिवारों को उनके आर्थिक एवं सामाजिक जीवन को बेहतर बनाना है इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य बिहार में किया है यहां के आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन में जीविका का बहुत बड़ा 13 वर्षों में योगदान रहा है। जीविका द्वारा किए गए कार्य से संतुष्ट होकर भारत सरकार में इस कार्य को पूरे भारत में वर्ष 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से शुरुआत किया। इस कार्यक्रम को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए रीसोर्स के रूप में उपयोग किया। वर्ष 2018 में बिहार सरकार ने सतत जीविकोपार्जन योजना का क्रियान्वयन का जिम्मेवारी जीविका को मिला ।सर्वप्रथम ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 15 महिलाओं को समूह बनाकर उनको आर्थिक रूप से बेहतर बनाने का प्रयास किया इसके बाद ग्राम संगठन एवं संकुल सांग का गठन किया गया तथा खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों के लिए उत्पादक समूह का भी गठन किया गया इस योजना में हेल्थ रिक्स एवं पुट्स इक्विटी फंड का योगदान बेहद थी सराहनीय रहा एवं जीविका द्वारा दिया जा रहा कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड काफी मददगार साबित हुआ है वर्ष दो हजार अट्ठारह में सतत जीविकोपार्जन योजना का शुरुआत किया गया जिसमें समाज के अंतिम पंक्ति में रह रहे लोगों का जीविकोपार्जन को बेहतर बनाने की दिशा में एक अच्छी एवं सकारात्मक पहल की शुरुआत किया गया इस योजना के तहत हजारों की संख्या में रह रहे अत्यंत गरीब परिवारों का चुनाव करके उनकी जीविकोपार्जन को बेहतर बनाने की दिशा में राज सरकार द्वारा जीविका के माध्यम से एक सराहनीय पहल किया गया। वैसे तो जीविका द्वारा बहुत सारे बेहद ही सराहनीय कार्य एवं पहल बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा चुका है तथा किया जा रहा है उन सारे विषयों की चर्चा करना मेरे द्वारा संभव नहीं है।
यात्रा-वृत्तात कल्पनाशीलता और रोचकता का विशेष महत्व होता है। स्थानीयता - यात्रा-वृत्तांत में लेखक का उद्देश्य स्थान-विशेष के संपूर्ण वैभव, प्रकृति, रस्मों-रिवाज, रहन- सहन, आचार-विचार, मनोरंजन के तरीके तथा जीवन के प्रति दृष्टिकोण का चित्रण करना होता है।
मंगलवार, 12 मई 2020
13 वर्ष का जीविका यात्रा ............
मै घुमकड़ प्रवृति का इन्सान हूँ मुझे धार्मिक ,एतिहासिक ,प्राकृतिक स्थलों पर जाना और यात्रा के बारे में ,समाजिक विषय ,पर्सनाल्टी ,हेल्थ ,एजुकेशन पर लिखना पसंद है.जब भी मेरा मन परेशान होता है तब मै इन स्थलों पर जाना पसंद करता हूँ इससे मुझे मानशिक शांति मिलता है .यात्रा का अपना एक समाजिक सरोकार भी है। आप नई जगह से वाकिफ होते हैं, नए लोगों से मिलते हैं और खास बात ये है कि आप किसी यात्रा पर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से दूर होते हैं। यात्रा शरीर और मन को ताजगी देने का एक माध्यम है। यात्रा चाहे धार्मिक हो या मौज मस्ती के लिए की गई हो, समुद्र या फिर रेगिस्तान की, किसी भी तरह की यात्रा का एक अनूठा ही एहसास है। पहले जमाने में जब कोई व्यक्ति यात्रा के लिए जाता था, तो सूचनाओं के अभाव की वजह से रास्तों व जगहों के बारे में ज्यादा जानकारी बटोरना बेहद मुश्किल था। लेकिन आज इंटरनेट के आने के बाद आप कहीं भी घूमना चाहें तो उसकी पूरी जानकारी आपके कंप्यूटर ,लैपटॉप ,टेबलेट ,स्मार्ट फ़ोन से घर बैठे ले सकते है । यात्रा स्थल और होटल के बारे में सभी सहूलियतें आपको इंटरनेट से मिल जाती हैं। साथ ही विभिन्न वेबसाइट,फेसबुक ,सोशल साईट और ब्लॉग्स के जरिए आप अपनी यात्रा का अनुभव दूसरे लोगों से बांट सकते हैं इससे आप की स्किल बेहतर होगा.