12 मई 2008, वो दिन जब मैंने जीविका में अपना सफर शुरू किया था, आज भी मेरी यादों में ताजा है। एक युवा मन, उत्साह से भरा हुआ, और एक लक्ष्य - ग्रामीण भारत के विकास में अपना योगदान देना। SPMU में CC पोस्ट पर योगदान देना मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।
अध्याय 1 : सीखने का सिलसिला
अगले 13 वर्षों में मैंने गया, आमस, खीजरसराय और हुलासगंज जैसे विभिन्न जिलों में कार्य किया। हर जिले ने मुझे कुछ नया सिखाया। सामुदायिक समन्वयक और क्षेत्रीय समन्वयक के रूप में मैंने ग्रामीण समुदायों के साथ काम किया, उनकी समस्याओं को समझा और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए समाधान ढूंढने का प्रयास किया। 2014 में मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण अधिकारी बनकर मैंने कई लोगों को प्रशिक्षित किया और उन्हें सशक्त बनाया।
अध्याय 2 : जीविका का उद्देश्य
जीविका का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को दूर करना और लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है। मैंने देखा कि कैसे जीविका ने लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। जीविका के विभिन्न कार्यक्रमों और सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करके हमने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
अध्याय 3 : सतत जीविकोपार्जन योजना
वर्ष 2018 में शुरू हुई सतत जीविकोपार्जन योजना एक महत्वपूर्ण पहल थी। इस योजना के तहत हमने ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सशक्त बनाया। खेती, पशुपालन और अन्य गतिविधियों से जुड़े लोगों को उत्पादक समूहों में संगठित किया गया। इस योजना में हेल्थ रिक्स और पुट्स इक्विटी फंड का योगदान काफी सराहनीय रहा।
अध्याय 4 : सीखे गए सबक
जीविका में काम करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा। मैंने सीखा कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होती है। मैंने सीखा कि एकता में ही शक्ति है। मैंने सीखा कि हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
निष्कर्ष
जीविका में बिताए गए 13 वर्ष मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय रहे हैं। मैंने न केवल खुद को विकसित किया बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाने में योगदान दिया। जीविका का यह सफर मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है।
यह यात्रा वृत्तांत आपको बताता है कि:
- जीविका किस तरह से ग्रामीण गरीबी को दूर करने में मदद कर रही है।
- जीविका के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में।
- जीविका में काम करने का अनुभव कैसा होता है।