9 अक्टूबर 2024 को हम औरंगाबाद से पुरी में पहुंचे समुद्र के नजदीक होटल बुक किया होटल में आराम किया एवं शाम 3:00 बजे से पुरी के गोल्डनबीच एवं blue flag beach का भ्रमण किया एवं समुद्र में स्नान किया एवं रात्रि में होटल में विश्राम किया। इसके अगले दिन 10 अक्टूबर 2024 को पूरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण दर्श एवं जगन्नाथ मंदिर का भ्रमणकिया एवं रात्रि में विश्राम किया अगले दिन 11 अक्टूबर को सुबह 7:00 बजे हमने टूरिस्ट बस से कोणार्क के लिए प्रस्थान किया। पुरी से कोणार्क की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है और यह स्थल भी समुद्र के किनारे स्थित है।
**कोणार्क का चंद्रभागा बीच और सूर्य मंदिर**
कोणार्क में सबसे पहले हमने चंद्रभागा बीच का भ्रमण किया। यह बीच काफी प्रसिद्ध और खतरनाक है। इसके बाद हमने कोणार्क के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर का दर्शन किया। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था और इसे श्रापित मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां कोई मूर्ति स्थापित नहीं है। मंदिर की वास्तुकला अत्यंत उत्कृष्ट है और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने संजीवित रखा है। कोणार्क के बाजार में हमने काजू और बच्चों के लिए खिलौने खरीदे। यहाँ के काजू की कीमत लगभग 400 से 500 रुपये प्रति किलो होती है।
**भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर**
कोणार्क से भुवनेश्वर की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। हम भुवनेश्वर दोपहर 3:00 बजे पहुंचे और लिंगराज मंदिर का दर्शन किया। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण भी प्राचीन वास्तु शैली में हुआ है। मंदिर परिसर में बहुत भीड़ थी, इसलिए हमने जल्दी दर्शन कर लिया।
**उदयगिरि और खंडागिरि की प्राचीन गुफाएं**
लिंगराज मंदिर के दर्शन के बाद, हमने उदयगिरि और खंडागिरि की गुफाओं का दौरा किया। ये गुफाएं लगभग 2000 साल पुरानी हैं और अशोक के समय की हैं। गुफाओं की संरचना और उनका ऐतिहासिक महत्व देखकर हम मंत्रमुग्ध हो गए।
**नंदनकानन अभ्यारण्य और भुवनेश्वर से रांची की यात्रा**
इसके बाद हम नंदनकानन अभ्यारण्य पहुंचे, जहाँ हमने विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों का अवलोकन किया। शाम को 8:00 बजे हम भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पहुंचे और रांची के लिए ट्रेन पकड़ी। अगले दिन सुबह 8:00 बजे हम रांची पहुंचे।
**रांची से चतरा और प्रतापपुर की यात्रा**
रांची से हमने चतरा के लिए बस पकड़ी और दोपहर 3:00 बजे वहां पहुंचे। चतरा में कुछ समय बिताने के बाद, हम प्रतापपुर के लिए प्रस्थान किया। प्रतापपुर पहुंचने के बाद हम अपने ससुराल और बच्चों के नानी घर कुजेसर गांव पहुंचे, जहाँ हमने रात्रि विश्राम किया।
**औरंगाबाद की यात्रा और यात्रा का समापन**
अगले दिन हम औरंगाबाद के लिए निकले और शाम 6:00 बजे वहां पहुंचे। बच्चों ने अपने नानी घर में खूब आनंद उठाया और मस्ती की। इस प्रकार, हमारी पाँच दिनों की यात्रा समाप्त हुई, जिसमें हमने गांव, पहाड़, समुद्र, नदियां और धार्मिक स्थलों का आनंद लिया।
**पुरी का ब्लू फ्लैग बीच (Golden Beach):**
पुरी का गोल्डन बीच, जिसे ब्लू फ्लैग बीच का दर्जा प्राप्त है, साफ-सुथरे वातावरण और सुविधाओं के कारण पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहां का सुनहरा रेत और नीला पानी एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
**जगन्नाथ मंदिर:**
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है। इसका निर्माण 12वीं सदी में हुआ था और यह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित है। मंदिर की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
**कोणार्क का सूर्य मंदिर:**
कोणार्क का सूर्य मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है और इसे 11वीं सदी में बनाया गया था। मंदिर का आकार एक विशाल रथ के रूप में है, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं।
**चंद्रभागा बीच:**
चंद्रभागा बीच कोणार्क के पास स्थित है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यह बीच सूर्यास्त के समय खासकर बहुत ही अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
**भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर:**
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सबसे प्राचीन और प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। मंदिर की वास्तुकला और परिसर की भव्यता देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
**उदयगिरि और खंडागिरि की गुफाएं:**
उदयगिरि और खंडागिरि की गुफाएं भुवनेश्वर के पास स्थित हैं और यह जैन तीर्थस्थल हैं। ये गुफाएं लगभग 2000 साल पुरानी हैं और इनमें प्राचीन जैन मूर्तियाँ और चित्रण देखने को मिलता है। अशोक के समय की ये गुफाएं ऐतिहासिक महत्व रखती हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
इस वृतांत के माध्यम से पाठक अपनी यात्रा की योजना को बेहतर तरीके से बना सकेंगे और इस समृद्ध सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों का अधिक आनंद ले सकेंगे। 🚀🌟
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