रविवार, 13 अक्टूबर 2024

पुरी यात्रा वृतांत: श्री जगन्नाथ मंदिर का अनुभव...


**रात्रि विश्राम के बाद यात्रा की शुरुआत:**

पुरी बीच के पास होटल में  बिताई शांत रात के बाद, 10 अक्टूबर 2024 को मैं और मेरा परिवार श्री जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए सुबह 6:00 बजे उठे। हमारा होटल मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर था। जब हमने ऑटो चालकों से बात की, तो उन्होंने ₹100 मांगे, लेकिन मोलभाव करने पर ₹50 में यात्रा तय हो गई। हमें जल्द ही महसूस हुआ कि सुबह-सुबह के समय ऑटो चालकों और रिक्शा वालों से मोलभाव करना एक कला है।

**नारियल पानी और मंदिर की ओर प्रस्थान:**

सुबह की सैर के दौरान, हम नारियल पानी के स्टॉल पर रुके। उड़ीसा में नारियल का उत्पादन भरपूर होने के कारण नारियल पानी 30 से ₹40 में उपलब्ध था। ताजगी से भरपूर नारियल पानी पीने के बाद, हम मंदिर की ओर बढ़े। श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था और यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक प्रमुख धाम है। इसकी विशाल संरचना और वास्तु कला देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया।

**मंदिर का माहौल और दर्शन की योजना:**

सुबह के समय मंदिर श्रद्धालुओं से भरा हुआ था और गर्मी एवं उमस भी प्रचंड थी। हमने सोचा कि शाम को आकर दर्शन करना बेहतर होगा, इसलिए होटल लौट गए। स्थानीय लोगों से जानकारी मिली कि शाम 6:00 बजे के बाद दर्शन करना अधिक सुविधाजनक होगा, क्योंकि तब गर्मी भी कम होगी और भीड़ भी थोड़ी कम होगी।

**शाकाहारी भोजन और खरीदारी का अनुभव:**

मंदिर के पास स्थित एक मारवाड़ी भोजनालय में हमने राजस्थानी शाकाहारी खाना खाया। यह भोजनालय बहुत ही टेस्टी और बजट फ्रेंडली था। खाना खाने के बाद हम मंदिर के पास स्थित छोटे से बाजार में गए, जहां उड़ीसा के लोगों द्वारा बनाए गए हैंडलूम कपड़ों की खरीदारी की। खरीदारी के दौरान हमें अच्छी तरह से मोलभाव करना पड़ा क्योंकि दुकानदारों की प्रवृत्ति ज्यादा से ज्यादा कीमत वसूल करने की थी।

**शाम का पुनः दर्शन और मंदिर का अनुभव:**

शाम 5:00 बजे हम दोबारा मंदिर पहुंचे। मंदिर प्रवेश करने से पहले मोबाइल, जूते-चप्पल और अन्य सामान को स्टैंड में रखना पड़ा। मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर बहुत ही आध्यात्मिक और भक्ति भावना का माहौल महसूस हुआ। हमने महाप्रसाद ग्रहण किया और फिर गर्भगृह में भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी का दर्शन किया। हमने प्रार्थना की कि भगवान हमें सभी बुराइयों से मुक्त करें और हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करें।

**रात्रि विश्राम और अगले दिन की योजना:**

रात को हमने फिर से मारवाड़ी भोजनालय में खाना खाया और होटल लौट आए। अगली सुबह हमने कोणार्क और भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर देखने की योजना बनाई। मैं सभी यात्रियों को सलाह दूंगा कि वे जब भी पुरी आएं, तो नवंबर से जनवरी के बीच आएं, क्योंकि उस समय मौसम अनुकूल होता है।

श्री जगन्नाथ मंदिर एक अत्यंत पवित्र और भव्य स्थल है। यहां आकर न केवल आध्यात्मिक अनुभव होता है, बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहर का भी आनंद लिया जा सकता है। पुरी की यात्रा निश्चित ही एक अद्वितीय और मनोहारी अनुभव साबित हुई। 🚩🌟







2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर और मनोरम दृश्य जो मनो को मोह ले ऐसा जगह है पूरी , कोणार्क और लिंगराज मंदिर . जय जगरनाथ .

Praveen ने कहा…

Thanks