मुजफ्फरपुर के साहेबगंज प्रखंड में एक परियोजना के तहत बने भवनों का निरीक्षण करते हुए, मुझे केसरिया की यात्रा करने का मौका मिला। यह यात्रा मेरे लिए एक यादगार अनुभव बन गई, क्योंकि मुझे बौद्ध धर्म के एक महत्वपूर्ण स्थल के बारे में जानने का अवसर मिला।
साहेबगंज प्रखंड के बैधनाथपुर गांव में स्थित एक भवन का निरीक्षण करने के बाद, मैंने सुना कि केसरिया मात्र 6 किलोमीटर दूर है। यह सुनकर मैं उत्साहित हो गया और केसरिया जाने का फैसला किया।
केसरिया का स्तूप: एक ऐतिहासिक स्थल
केसरिया, चंपारण से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है, जहां एक विशाल बौद्ध स्तूप स्थित है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बिताई थी। उन्होंने लिच्छवियों को अपना भिक्षा-पात्र प्रदान किया था।
सम्राट अशोक का योगदान:
सम्राट अशोक ने यहां एक स्तूप का निर्माण करवाया था। यह स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप माना जाता है। वर्तमान में, यह स्तूप 1400 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 51 फीट है। अलेक्जेंडर कनिंघम के अनुसार, मूल स्तूप 70 फीट ऊंचा था।
केसरिया का महत्व:
केसरिया बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां आकर हमें भगवान बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों के बारे में अधिक जानने का अवसर मिलता है। यह स्थान हमें बौद्ध धर्म की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से रूबरू कराता है।
यात्रा का अनुभव:
केसरिया पहुंचकर मैं स्तूप के सामने खड़ा हो गया। स्तूप की विशालता और भव्यता देखकर मैं अचंभित रह गया। मैंने स्तूप के चारों ओर घूमते हुए इसका निरीक्षण किया। मुझे यहां शांति और आत्मविश्वास का अनुभव हुआ।
निष्कर्ष:
केसरिया की यात्रा मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस यात्रा ने मुझे बौद्ध धर्म के प्रति और अधिक गहरा सम्मान दिया। मैं सभी को केसरिया की यात्रा करने का सुझाव दूंगा।
यात्रा की जानकारी:
- कैसे पहुंचें: केसरिया जाने के लिए मोतिहारी नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यहां से सड़क मार्ग से भी आया जा सकता है।
- कहां ठहरें: रहने-ठहरने की व्यवस्था मोतिहारी में उपलब्ध है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च तक का समय यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा होता है