मंगलवार, 30 जुलाई 2024

यात्रा: एक सपने का सफर...

    

12 मई 2008, वो दिन जब मैंने जीविका में अपना सफर शुरू किया था, आज भी मेरी यादों में ताजा है। एक युवा मन, उत्साह से भरा हुआ, और एक लक्ष्य - ग्रामीण भारत के विकास में अपना योगदान देना। SPMU में CC पोस्ट पर योगदान देना मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।

अध्याय 1 : सीखने का सिलसिला

अगले 13 वर्षों में मैंने गया, आमस, खीजरसराय और हुलासगंज जैसे विभिन्न जिलों में कार्य किया। हर जिले ने मुझे कुछ नया सिखाया। सामुदायिक समन्वयक और क्षेत्रीय समन्वयक के रूप में मैंने ग्रामीण समुदायों के साथ काम किया, उनकी समस्याओं को समझा और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए समाधान ढूंढने का प्रयास किया। 2014 में मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण अधिकारी बनकर मैंने कई लोगों को प्रशिक्षित किया और उन्हें सशक्त बनाया।

अध्याय 2 : जीविका का उद्देश्य

जीविका का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को दूर करना और लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है। मैंने देखा कि कैसे जीविका ने लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। जीविका के विभिन्न कार्यक्रमों और सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करके हमने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अध्याय 3 : सतत जीविकोपार्जन योजना

वर्ष 2018 में शुरू हुई सतत जीविकोपार्जन योजना एक महत्वपूर्ण पहल थी। इस योजना के तहत हमने ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सशक्त बनाया। खेती, पशुपालन और अन्य गतिविधियों से जुड़े लोगों को उत्पादक समूहों में संगठित किया गया। इस योजना में हेल्थ रिक्स और पुट्स इक्विटी फंड का योगदान काफी सराहनीय रहा।

अध्याय 4 : सीखे गए सबक

जीविका में काम करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा। मैंने सीखा कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होती है। मैंने सीखा कि एकता में ही शक्ति है। मैंने सीखा कि हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

निष्कर्ष

जीविका में बिताए गए 13 वर्ष मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय रहे हैं। मैंने न केवल खुद को विकसित किया बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाने में योगदान दिया। जीविका का यह सफर मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है।

यह यात्रा वृत्तांत आपको बताता है कि:

  • जीविका किस तरह से ग्रामीण गरीबी को दूर करने में मदद कर रही है।
  • जीविका के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में।
  • जीविका में काम करने का अनुभव कैसा होता है।
अगर आप भी ग्रामीण विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं, तो जीविका आपके लिए एक बेहतरीन मंच है। 



















चोपता - तुंगनाथ :- हिमालय की गोद में शांति और प्रकृति का संगम...


    तुंगनाथ, उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित एक ऐसा पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ प्रकृति की मनमोहक छटा और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम होता है। 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर, पंच केदारों में सबसे ऊंचा मंदिर है और भगवान शिव को समर्पित है।

यात्रा का मार्ग

मैंने ऋषिकेश से अपनी यात्रा शुरू की। ऋषिकेश से गोपेश्वर होते हुए चोपता का रास्ता चुना। रास्ते में अलकनंदा नदी के किनारे-किनारे का नज़ारा मन को मोह लेता है। रुद्रप्रयाग से ऊखीमठ की ओर बढ़ते हुए मंदाकिनी घाटी के दर्शन हुए। मार्ग संकरा होने के कारण सतर्कता बरतनी पड़ी, लेकिन हिमालय की गोद में यह सफर रोमांच से भरपूर था।

चोपता: बुग्यालों की दुनिया

चोपता पहुंचने पर मैं बुग्यालों की मनमोहक दुनिया में प्रवेश कर गया। मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और खिले फूलों ने मेरा मन मोह लिया। चोपता से तुंगनाथ तक का तीन किलोमीटर का पैदल मार्ग एक अद्भुत अनुभव था।

तुंगनाथ मंदिर: शांति का सागर

तुंगनाथ मंदिर में पहुंचकर मुझे एक अलौकिक शांति का अनुभव हुआ। प्राचीन शिव मंदिर की भव्यता और पवित्र वातावरण ने मन को प्रसन्न कर दिया। यहाँ से थोड़ी दूर पर चंद्रशिला चोटी है, जहाँ से हिमालय का विराट रूप साफ दिखाई देता है।

देवहरिया ताल: प्रकृति का अद्भुत नज़ारा

चोपता के पास देवहरिया ताल भी एक दर्शनीय स्थल है। इस ताल में चौखंभा, नीलकंठ आदि हिमाच्छादित चोटियों के प्रतिबिंब साफ दिखाई देते हैं। ताल के चारों ओर बांस और बुरांश के घने जंगल हैं।

यात्रा का अनुभव

तुंगनाथ की यात्रा मेरे लिए एक यादगार अनुभव रहा। हिमालय की गोद में प्रकृति की गोद में शांति और सुकून का अनुभव करना, जीवन का एक अनमोल पल था।

यात्रा की योजना बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • सर्वश्रेष्ठ समय: मई से नवंबर तक
  • कैसे पहुंचें: ऋषिकेश से गोपेश्वर या ऊखीमठ होते हुए
  • ठहरने की सुविधा: गोपेश्वर, ऊखीमठ और चोपता में
  • क्या लाएं: गर्म कपड़े, ट्रेकिंग शूज़, पानी की बोतल, कैमरा

निष्कर्ष

तुंगनाथ की यात्रा प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए एक अनूठा अनुभव है। यदि आप शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो तुंगनाथ आपके लिए एक आदर्श स्थान है।










Ghumuntu baba tungnath mandir kay pass may


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देवकुंड : महर्षि च्यवन की तपोभूमि...

 

   आज हम पहुंचे हैं बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देवकुंड। यह स्थान सिर्फ एक गांव नहीं है, बल्कि भारतीय इतिहास और धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां आकर लगता है जैसे समय थम गया हो और हम हजारों साल पीछे चले गए हों।

महर्षि च्यवन की तपोभूमि

देवकुंड को महर्षि च्यवन की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने गया में अपने पितरों का पिंडदान करने से पहले यहां भगवान शिव की स्थापना की थी। बाद में महर्षि च्यवन ने इसी स्थल को अपनी तपोभूमि बनाया और वर्षों तक तपस्या की।

अग्निकुंड का रहस्य

यहां का सबसे आश्चर्यजनक हिस्सा है पांच सौ से अधिक वर्षों से जलता हुआ अग्निकुंड। यह कुंड बाबा बालपुरी द्वारा स्थापित किया गया था जिन्होंने च्यवन ऋषि के आश्रम में साधना की थी। आज भी, भले ही नियमित रूप से हवन न होता हो, कुंड की अग्नि कभी बुझती नहीं है।

राख के नीचे की अग्नि

ऊपर से देखने पर कुंड राख का ढेर लगता है, लेकिन जैसे ही आप थोड़ा सा हाथ डालते हैं, आपको अग्नि का एहसास होता है। कुंड में धूप डालकर राख को हटाने पर अग्नि धूप को पकड़ लेती है और धुआं निकलना शुरू हो जाता है।

महर्षि च्यवन और सुकन्या की कहानी

यहां महर्षि च्यवन की प्रतिमा और बाबा बालदेव का आसन भी है। कुंड के सामने बाबा बालपुरी की समाधि स्थल पर दस छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं।

कुंड से कुछ दूरी पर सहस्त्रधारा के किनारे भगवान दुधेश्वरनाथ का मंदिर है, जहां पहले भगवान श्री राम और बाद में च्यवन ऋषि ने पूजा अर्चना की थी। यहां की मान्यता है कि महर्षि च्यवन जब तपस्या में लीन थे, तब राजा शरमाती की पुत्री सुकन्या ने गलती से उनकी आंखें फोड़ दी थीं। इसके बाद महर्षि च्यवन और सुकन्या का विवाह हुआ और अश्विनी कुमारों ने यज्ञ करके महर्षि च्यवन को युवा बना दिया था।

आज भी जीवंत है धर्म

आज भी सावन के महीने में लोग दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं और हवन कुंड में धूप अर्पित करते हैं। सहस्त्रधारा में बड़े पैमाने पर छठ पर्व मनाया जाता है।

एक अद्भुत अनुभव

देवकुंड की यात्रा एक अद्भुत अनुभव है। यहां आकर आपको इतिहास, धर्म और प्रकृति का संगम देखने को मिलता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आप शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं।

यहां आने के लिए क्यों:

  • महर्षि च्यवन की तपोभूमि
  • पांच सौ वर्ष पुराना अग्निकुंड
  • भगवान दुधेश्वरनाथ का मंदिर
  • सहस्त्रधारा
  • शांति और आध्यात्मिक अनुभव

कैसे पहुंचें:

आप पटना,अरवल ,जहनाबाद ,गोह ,रफीगंज ,औरंगाबाद या गया से बस  द्वारा देवकुंड पहुंच सकते हैं।

कब जाएं:

सावन का महीना यहां आने का सबसे अच्छा समय है।

यह यात्रा वृत्तांत उन लोगों के लिए उपयोगी होगा जो:

  • इतिहास और धर्म में रुचि रखते हैं
  • शांति और आध्यात्मिकता की तलाश में हैं
  • एक अनोखे स्थान की यात्रा करना चाहते हैं

अंत में:

देवकुंड की यात्रा एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इसे महसूस किया जाना चाहिए। यदि आप कभी बिहार आते हैं, तो देवकुंड को अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करें।


                   






गुरुवार, 25 जुलाई 2024

पायलट बाबा धाम: विमान चालक से एक आध्यात्मिक गुरु तक...



       सासाराम का पायलट बाबा धाम एक ऐसा स्थान है जो आध्यात्म और इतिहास दोनों का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान, विंग कमांडर कपिल सिंह, जिन्हें पायलट बाबा के नाम से जाना जाता है, के जीवन और कार्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

एक विमान चालक से एक आध्यात्मिक गुरु तक-

पायलट बाबा का जीवन एक रोमांचक सफर रहा है। एक कुशल लड़ाकू विमान चालक से वे एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु बन गए। उनके अनुसार, एक विमान दुर्घटना के दौरान उनके गुरु हरि बाबा ने उन्हें सुरक्षित उतारने में मदद की। इस घटना ने उनके जीवन में एक नया मोड़ ला दिया और उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया।

पायलट बाबा धाम में आप कई आश्चर्यजनक चीजें देख सकते हैं:

  • भगवान शिव की विशाल प्रतिमा: धाम में भगवान शिव की 111 फीट ऊंची प्रतिमा है, जो देश की चौथी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है।
  • बुद्ध प्रतिमा: यहां 80 फीट ऊंची बुद्ध प्रतिमा भी है।
  • सोमनाथ मंदिर: सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया यह मंदिर भी यहां का मुख्य आकर्षण है।
  • शांत वातावरण: यहां का वातावरण बेहद शांत और मनमोहक है।

यात्रा का अनुभव-

यहां आने पर आपको एक अजीब सी शांति महसूस होगी। आप यहां ध्यान कर सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं या बस शांत बैठकर  आनंद ले सकते हैं। धाम में कई ऐसे स्थान हैं जहां आप बैठकर आराम कर सकते हैं।

क्यों जाएँ पायलट बाबा धाम?

  • आध्यात्मिक अनुभव:  यदि आप आध्यात्मिक अनुभव लेना चाहते हैं तो यह आपके लिए एक बेहतरीन जगह है।
  • शांत वातावरण:  यहां का शांत वातावरण आपको तनाव से मुक्त करने में मदद करेगा।
  • इतिहास: पायलट बाबा के जीवन से जुड़ा यह स्थान इतिहास के प्रति उत्साही लोगों के लिए भी दिलचस्प है।
  • कैसे पहुंचें:

पायलट बाबा धाम सासाराम में स्थित है। आप यहां आसानी से सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।

निष्कर्ष:

पायलट बाबा धाम एक ऐसा स्थान है जहां आप आध्यात्म और इतिहास दोनों का आनंद ले सकते हैं। यदि आप एक शांत और शांतिपूर्ण स्थान की तलाश में हैं तो यह आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

 मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।