शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

रुद्रप्रयाग - देवताओं का संगम...

      मैंने जब रुद्रप्रयाग की यात्रा का फैसला किया, तो मन में केवल एक ही भाव था - आध्यात्मिक शांति और प्रकृति की गोद में खो जाना। रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड का एक छोटा सा शहर है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है, जो इसे हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल बनाता है।

श्रीनगर से 34 किलोमीटर की यात्रा के बाद, मैं रुद्रप्रयाग पहुंचा। जैसे ही मैंने दूर से संगम को देखा, मेरी आंखें खुशी से चमक उठीं। दोनों नदियां इतनी शांति से मिल रही थीं, मानो दो बहनें आपस में गले मिल रही हों। इस दृश्य ने मेरा मन मोह लिया।

रुद्रप्रयाग का धार्मिक महत्व:

रुद्रप्रयाग का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यही कारण है कि यहां स्थित शिव और जगदम्बा मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। मैंने इन मंदिरों में जाकर भगवान शिव और माता जगदंबा का आशीर्वाद लिया।  

रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम केवल 86 किलोमीटर दूर है। मैंने केदारनाथ धाम की यात्रा का भी प्लान बनाया था। केदारनाथ धाम की यात्रा बहुत ही रोमांचक थी। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखकर मैं दंग रह गया।

निष्कर्ष:

रुद्रप्रयाग की यात्रा मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। यहां की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य ने मुझे बहुत प्रभावित किया। अगर आप भी आध्यात्मिक शांति चाहते हैं, तो रुद्रप्रयाग की यात्रा जरूर करें।

कुछ सुझाव:

  • रुद्रप्रयाग की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।
  • यात्रा के दौरान गर्म कपड़े और जूते जरूर ले जाएं।
  • केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए आपको परमिट लेना होगा।
  • यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों से बातचीत करें और उनकी संस्कृति के बारे में जानें।
अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल





2 टिप्‍पणियां:

travel ufo ने कहा…

बहुत बढिया दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Shashi ranjan kumar ने कहा…

Jai ho baba ji ki