सोमवार, 19 अगस्त 2019

बद्रीनाथ यात्रा 2 (उतराखंड ) भारत

           27 अक्टूबर 2017 को  मै और पिता जी पटना से ट्रेन हरिद्वार के लिए कुंभ एक्सप्रेस पकड़ा और 28 तारीख को हरिद्वार 5 pm पहुंचा और यहां पर रात्रि विश्राम गंगा नदी के किनारे एक छोटे से लॉज में किया हरिद्वार उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध स्थल है और इसे हरिद्वार हरि का द्वार माना जाता है यह स्थल काफी सुंदर  और बेहतर तरीके से बनाया गया है काफी दिनों से कहीं यात्रा नहीं किया था जिस कारण से मेरा मन भी व्याकुल था क्योंकि जब भी मेरा मन व्याकुल होता है तो किसी धार्मिक ,Historical ,Natural स्थल का यात्रा करना पसंद करता हूं तो मैंने इस बार धार्मिक स्थल बद्रीनाथ जी की यात्रा के लिए निकल पड़ा. मेरा यह बद्रीनाथ का यात्रा  2th बार का है हरी द्वार में रात्री विश्राम लेने के बाद अगले दिन सुबह में गंगा स्नान किया और वहां से छोटी गाड़ी पकड़ कर बद्रीनाथ के लिए निकल गया हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी लगभग ढाई सौ किलोमीटर है और हरिद्वार से छोटी और बड़ी गाड़ियां बद्रीनाथ के लिए मिलती रहती है यहां से 10 घंटे का सफर है छोटी गाड़ी से सफर करना बेहतर है बस ज्यादा समय लेता है इस कारण से छोटी गाड़ी अच्छा है और छोटी गाड़ी बीच-बीच रास्तों में  50 किलोमीटर की दूरी पर रोक करके खाना पीना खाते हुए बद्रीनाथ की ओर जाया जा सकता है और प्राकृतिक नजारा को देखते हुए जाया जा सकता है इस कारण से मैंने छोटी गाड़ी बद्रीनाथ जाने के लिए लिया.  बद्रीनाथ जाने के क्रम में मुझे ऋषिकेश देवप्रयाग श्रीनगर रुद्रप्रयाग चमोली जोशीमठ एवं गोविंदघाट होते हुए बद्रीनाथ के लिए जाना पड़ा इन सभी जगहों का बहुत ही ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व और यह स्थल बहुत ही सुंदर औरअलकनंदा और गंगा  नदियों के किनारे पर बसा हुआ है और हिमालय के क्षेत्र में आता है जिसे देखने से मन में आनंद की प्राप्ति होती है तो मैंने इन सारे स्थलों को देखते हुए दिनांक 29 अक्टूबर को शाम 6:00 बजे बद्रीनाथ में पहुंचा  और वहां पर एक छोटे से लॉज ₹200 में ठहरने के लिए किराए पर लिया कुछ देर  लॉज में आराम करने के बाद रात्रि में 8:00 बजे बद्रीनाथ मंदिर के प्रांगण में गया उस समय वहां पर आरती हो रहा था तो उस आरती में मैं भी शामिल हुआ और आरती का आनंद लिया यह बद्रीनाथ मंदिर बहुत ही प्राचीन और हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है जो हिमालय क्षेत्र में है इस बद्रीनाथ मंदिर के नीचे में एक तप्त कुंड है जहां का पानी बेहद गर्म रहता है और लोग इसमें स्नान करने के बाद ही इस मंदिर में ध्यान एवं भगवान बद्रीनारायण का दर्शन करने के लिए जाते हैं तो मैंने रात्रि में स्नान नहीं किया और सोचा कि क्यों न कल सुबह में स्नान करके श्री बद्री नारायण जी का दर्शन करो तो मैंने रात्रि का खाना बद्रीनारायण मंदिर के बगल में एक होटल में किया जहां पर मात्र ₹60 में बहुत ही बेहतर तरीके से दुकान वाले ने खाना खिलाया खाना खाने के बाद अपने लॉज में विश्राम के लिए चला गया और रात्रि 10:00 बजे सो गया क्योंकि यात्रा से थका हुआ था इस कारण  नींद जल्दी आ गई अगले दिन  को सुबह 6:00 बजे जागा और नित्य क्रिया करने के पश्चात तप्त कुंड में स्नान करने के लिए चला गया तप्त कुंड में स्नान किया या कुंड बहुत ही अच्छी अवस्था में है और यहां पर प्राकृतिक रूप से पहाड़ों से गर्म पानी आता  है . यह चर्म रोग से मुक्ति के लिए काफी अच्छा है इसमें स्नान करने के बाद शरीर में खुजली होना बंद हो जाता है चिकित्सीय रूप से यह काफी बेहतर है तकरीबन 30 मिनट इस कुंड में स्नान करने के बाद और  कपड़े बदलने के बाद श्री बद्री नारायण जी के मंदिर में प्रवेश किया और पूजा अर्चना किया और इस मंदिर के प्रांगण में बैठकर 1 घंटे तक ध्यान और जाप किया जो कि मेरे मन को ध्यान और जाप करने के बाद काफी सुकून मिला उस समय यहां के तापमान लगभग 8 डिग्री सेल्सियस होगा यह मंदिर हिमालय की गोद में है और लगभग समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में है जिस कारण से यहां का तापमान हमेशा ठंडा और सुहावना रहता है नवंबर से मार्च माह तक यहां पर जबरदस्त बर्फबारी होती है जिस कारण से बद्रीनाथ जी का यात्रा बंद हो जाता है यहां पर देश-विदेश के कई श्रद्धालु लोग दर्शन करने के लिए आते हैं जिस दिन मैं यहां पर गया था उस दिन भारत के गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी भी यहां पर बद्रीनाथ जी का दर्शन करने के लिए आए थे. जिस कारण से यहां की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी इस मंदिर से 30 किलोमीटर की दूरी पर भारत और चीन का बॉर्डर है और यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर भारत का अंतिम गांव माणा है . मैंने बद्रीनाथ जी के मंदिर में  ध्यान और जाप करने के पश्चात उसी होटल में खाना खाने के लिए गया जहां रात्रि में खाना खाया था सुबह में उस होटल में जाकर के आलू पराठाऔर चटनी  का अल्पाहार किया और बद्रीनाथ के भ्रमण पर कुछ फोटोग्राफी किया इसके बाद 10:00 बजे हेमकुंड के लिए निकल गया.

                    नोट - ( अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण ७वीं-९वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से ३,१३३ मीटर (१०,२७९ फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है। यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है; २०१२ में यहाँ लगभग १०.६ लाख तीर्थयात्रियों का आगमन दर्ज किया गया था। बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की पूजा होती है। यहाँ उनकी १ मीटर (३.३ फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने ८वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है। यद्यपि, यह मन्दिर उत्तर भारत में स्थित है, "रावल" कहे जाने वाले यहाँ के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते हैं। बद्रीनाथ मन्दिर को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम – ३०/१९४८ में मन्दिर अधिनियम – १६/१९३९ के तहत शामिल किया गया था, जिसे बाद में "श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम" के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नामित एक सत्रह सदस्यीय समिति दोनों, बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मन्दिरों, को प्रशासित करती है। विष्णु पुराण, महाभारत तथा स्कन्द पुराण जैसे कई प्राचीन ग्रन्थों में इस मन्दिर का उल्लेख मिलता है। आठवीं शताब्दी से पहले आलवार सन्तों द्वारा रचित नालयिर दिव्य प्रबन्ध में भी इसकी महिमा का वर्णन है। बद्रीनाथ नगर, जहाँ ये मन्दिर स्थित है, हिन्दुओं के पवित्र चार धामों के अतिरिक्त छोटे चार धामों में भी गिना जाता है और यह विष्णु को समर्पित १०८ दिव्य देशों में से भी एक है। एक अन्य संकल्पना अनुसार इस मन्दिर को बद्री-विशाल के नाम से पुकारते हैं और विष्णु को ही समर्पित निकटस्थ चार अन्य मन्दिरों – योगध्यान-बद्री, भविष्य-बद्री, वृद्ध-बद्री और आदि बद्री के साथ जोड़कर पूरे समूह को "पंच-बद्री" के रूप में जाना जाता है। ऋषिकेश से यह २९४ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। मन्दिर तक आवागमन सुलभ करने के लिए वर्तमान में चार धाम महामार्ग तथा चार धाम रेलवे जैसी कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है।)

               
                                                  









तप्त कुंद बद्रीनाथ जी 













बद्रीनाथ जी