शनिवार, 17 अगस्त 2019

मुजफ्फरपुर से काठमांडू तक का सफ़र...

        11 अगस्त, 2019 को, मैं और मेरे पिताजी, सत्येंद्र कुमार पाठक, मुजफ्फरपुर से मिथिला एक्सप्रेस द्वारा रक्सौल के लिए रवाना हुए। रक्सौल से टमटम लेकर हम बिरगंज पहुंचे। यह मेरी जिंदगी का पहला विदेशी दौरा था, खासकर किसी देश की राजधानी में, इसलिए मैं काफी उत्साहित था।

बिरगंज से काठमांडू के लिए कई तरह के वाहन उपलब्ध हैं, लेकिन मैंने छोटी गाड़ी का चुनाव किया क्योंकि यह कम समय में शॉर्टकट मार्ग से काठमांडू पहुंचाती है। बड़ी बसें रात में चलती हैं और उनका रास्ता थोड़ा लंबा होता है। मैंने 350 रुपये में छोटी गाड़ी में आगे की सीट बुक की और काठमांडू के लिए निकल पड़ा।

गाड़ी दोपहर 1 बजे बिरगंज से चली। इससे पहले मैंने भारतीय रुपये को नेपाली रुपये में बदलवा लिया, क्योंकि नेपाल में दोनों मुद्राएं चलती हैं। बॉर्डर पर कई लोग मुद्रा बदलने का काम करते हैं। मैंने 1000 रुपये को 1600 नेपाली रुपये में बदलवाया।

काठमांडू की ओर सफर

रास्ते में हमें कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिले - हरे-भरे पेड़-पौधे, नदियां, झरने और ऊंचे-ऊंचे पहाड़। पहाड़ों में बसे गांव और होटल भी काफी मनोरम थे। यहां की ठंडी हवा ने मुझे काफी ताज़गी दी।

रात 8 बजे के करीब, गाड़ी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर के पास गौशाला मोड पर रुकी। मैंने यहां से 1000 रुपये में एक होटल का कमरा लिया और रात का विश्राम किया।

यात्रा के निष्कर्ष

यह यात्रा मेरे लिए एक यादगार अनुभव रही। मैंने नेपाल की खूबसूरती और संस्कृति को करीब से देखा। काठमांडू का पशुपतिनाथ मंदिर, भक्तपुर दरबार स्क्वायर और स्वयम्भूनाथ स्तूप जैसे दर्शनीय स्थल देखने को मिले।

यात्रा टिप्स

  • मुद्रा: नेपाल में भारतीय रुपये के साथ-साथ नेपाली रुपये भी चलते हैं।
  • पहनावा: हल्के कपड़े और जूते पहनें, क्योंकि मौसम ठंडा रहता है।
  • खाना: स्थानीय व्यंजन जरूर चखें।
  • सुरक्षा: अपनी कीमती चीजों का ध्यान रखें।

विशेष नोट: भारत के नागरिकों को नेपाल जाने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होती है। बस एक पहचान पत्र के साथ आप नेपाल जा सकते हैं।