मंगलवार, 20 अगस्त 2019

औली एवं जोशीमठ - प्राकृतिकप्रेमिओ की जन्नत ☺️😊☺️👌👌👌

         2 नवंबर 2017 को मैं और पिता जी गोविन्द्घाट  से जोशीमठ में आया यह स्थल  काफी सुंदर और हिमालय के गोद में है यहां पर काफी ऊंची ऊंची हिमालय पहाड़ की चोटियां हैं जिसे देखने से मन प्रसन्न हो जाता है यहां पर भव्य भगवान विष्णु का मंदिर  बना हुआ है बद्रीनाथ ,गोविंदघाट जोशीमठ के रास्ते से ही जाया जाता है जोशीमठ में देखने के लिए काफी जगह और  मंदिरे हैं यहीं से औली भी जाया जाता है तो मैंने जोशीमठ से रोपवे  के माध्यम से औली के लिए गया औली पहुंचने के बाद वहां पर बना एक छोटा सा चाय दुकान में चाय पिया और वहां के नजारे देखें और फोटोग्राफिया  भी किया यह  एक बहुत ही सुंदर और स्वस्थ जगह है यहां काफी साफ-सफाई है और यहां पर ठंडे मौसम में काफी बर्फबारी होती है और यहां पर बर्फबारी में देश-विदेश के लोग घूमने और स्केटिंग करने के लिए आते हैं यहां से हिमालय की चोटियां देखने को बनती है नंदा देवी पर्वत त्रिशूल पर्वत यहां से स्पष्ट दिखाई देता है यहां का तापमान ठंड के मौसम में माइनस 0 डिग्री में चला जाता है वैसे तो यहां सालों भर 5 से 6 डिग्री का तापमान रहता है यहाँ पर जाने के  लिए रोड भी बनी हुई है जो कि जोशीमठ से 16 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां रोपवे से आने के लिए 4 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है 4 किलोमीटर लंबा रोपवे उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाया गया है और संचालित है जिस का किराया ₹700 निर्धारित है ₹700 में आना और जाना दोनों है इसके  बाद औली भ्रमण  करने के पश्चात मैं शाम में 6:00 बजे रोपवे   से जोशीमठ आ गया और रात्रि विश्राम रात्रि का खाना जोशीमठ के गुरुद्वारे में ही किया और रात्रि में जोशीमठ बाजार का भ्रमण किया और समझने का का प्रयास किया कि जोशीमठ के निवासियों का आर्थिक एवं सामाजिक स्तर कैसा है इस खूबसूरत जगह को कैसे प्रबंध किए हुए हैं और इस ऊंची जगह पर इनका जीवन किन किन चुनौतियों से भरा पड़ा है और कैसे यहां के निवासी अपने जीवन को जीते हैं उनके संस्कृति और धार्मिक जीवन  कैसा है . इसके बाद खाना खा कर 10 pm में  गुरुद्वारे में सो गया.
               
                 नोट - 1 . जोशीमठ - ( हिमालय वनस्पतियों से घिरा जोशीमठ उत्तराखंड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह चार धाम तीर्थ स्थानों और औली के बहुत ही करीब है। यही कारण है कि उत्तराखंड के इन धार्मिक नगरों की सैर करने वाले ज्यादातर ट्रैवलर्स यहां रुककर आराम फरमाना ज्यादा पसंद करते हैं। यह खूबसूरत स्थल अपने आकर्षणों के साथ हर तरह के सैलानियों का स्वागत करता है। यह एक खास स्थान इसलिए भी है क्योंकि यहां आप धार्मिक यात्रा के साथ-साथ विभिन्न एडवेंचर गतिविधियों का आनंद भी ले सकते हैं। जोशीमठ एक कम भीड़ वाला शहर है जहां आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक आरामदायक अवकाश बीता सकते है.  जोशीमठ भ्रमण की शुरूआत आप यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ज्योतिर्मठ से कर सकते हैं, यह वो स्थान है जहां से इस शहर को अपना नाम प्राप्त हुआ है। यह स्थल मूल रूप से शंकरचार्य मठ के लिए जाना जाता है। इस मठ की स्थापना आदि जगतगुरू शंकराचार्य ने की थी। इस मठ के अलावा भारत में तीन और मठ मौजूद हैं जो सामूहिक रूप से चार मठ कहलाते हैं। इस प्रसिद्ध मठ के पीछे की एक कथा भी जुड़ी है, माना जाता है कि इन मठ का निर्माण 8वीं शताब्दी के दौरान आदि शंकराचार्य के एक अनुयायी ने जगतगुरू के दिशा निर्देश पर किया था। इस मठ के अंदर लक्ष्मी नारायण मंदिर और एक 200 साल पुरान एक वृक्ष(कल्पप्रकाश) भी मौजूद है। जोशीमठ के निचले बाजार में स्थित, नरसिंह मंदिर हिंदू भगवान विष्णु के नरसिम्हा (भगवान विष्णु का चौथा अवतार)अवतार को समर्पित पवित्र मंदिर है। इस पवित्र मंदिर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यह भगवान का शीतकालीन निवास है। यहां सर्दियों के दौरान बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ रखी जाती है। इस प्रकार नरसिंह मंदिर जोशीमठ में एक महत्वपूर्ण स्थान है। अगर आप भगवान विष्णु के चौथे अवतार के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो यहां की यात्रा का प्लान जरूर बनाएं। यदि आप स्वाभाविक रूप से हिमालय की खूबसूरती को देखना चाहते हैं तो औली रोपवे से सबसे अच्छा गंतव्य और कोई नहीं हो सकता है। यह एशिया और भारत का सबसे ऊंचा और सबसे लंबा रोपवे केबल है जिसकी कुल दूरी 4 किमी से अधिक है। कुदरत की अनमोल सौंदर्यता को करीब से निहारने के लिए आप यहां की यात्रा का प्लान कर सकते हैं। आप यहां अपने परिवार यहां दोस्तों के साथ आ सकते हैं।)


2 - औली - ( औली उत्तराखण्ड का एक भाग है। यह 5-7 किलोमीटर में फैला छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। इस रिसोर्ट को 9,500-10,500 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है। यहाँ बर्फ से ढकी चोटियाँ बहुत ही सुन्दर दिखाई देती हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 23,000 फीट है। यहाँ पर देवदार के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। इनकी महक यहाँ की ठंडी और ताजी हवाओं में महसूस की जा सकती है। औली में प्रकृति ने अपने सौन्दर्य को खुल कर बिखेरा है। बर्फ से ढकी चोटियों और ढलानों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। यहाँ पर कपास जैसी मुलायम बर्फ पड़ती है और पर्यटक खासकर बच्चे इस बर्फ में खूब खेलते हैं। स्थानीय लोग जोशीमठ और औली के बीच केबल कार स्थापित करना चाहते हैं। जिससे आने-जाने में सुविधा हो और समय की भी बचत हो। इस केबल कार को बलतु और देवदार के जंगलो के ऊपर से बनाया जाएगा। यात्रा करते समय आपको गहरी ढ़लानों से होकर जाना पड़ता है और ऊँची चढ़ाईयाँ चढ़नी पड़तीं हैं। यहाँ पर सबसे गहरी ढलान 1,640 फुट और सबसे ऊँची चढ़ाई 2,620 फुट की है। पैदल यात्रा के अलावा यहाँ पर चेयर लिफ्ट का विकल्प भी है। जिंदादिल लोगों के लिए औली बहुत ही आदर्श स्थान है। यहाँ पर बर्फ गाड़ी और स्लेज आदि की व्यवस्था नहीं है। यहाँ पर केवल स्कीइंग और केवल स्कीइंग की जा सकती है। इसके अलावा यहाँ पर अनेक सुन्दर दृश्यों का आनंद भी लिया जा सकता है। नंदा देवी के पीछे सूर्योदय देखना एक बहुत ही सुखद अनुभव है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ से 41 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा बर्फ गिरना और रात में खुले आकाश को देखना मन को प्रसन्न कर देता है। शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर औली एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटक स्थल है। यहाँ पर स्की करना सिखाया जाता है। गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने यहाँ स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मण्डल द्वारा 7 दिन की नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन की सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। मण्डल के अलावा निजी संस्थान भी ट्रेनिंग देते हैं। यह पर्यटक के ऊपर निर्भर करता है कि वह कौन सा विकल्प चुनता है। स्की सीखते समय सामान और ट्रेनिंग के लिए रू.500 देने पड़ते हैं। इस फीस में पर्यटकों के लिए रहने, खाने और स्की सीखने के लिए आवश्यक सामान आदि की आवश्यक सुविधाएं दी जाती हैं। इसके अलावा यहाँ पर कई डीलक्स रिसोर्ट भी हैं। यहाँ पर भी ठहरने का अच्छा इंतजाम है। पर्यटक अपनी इच्छानुसार कहीं पर भी रूक सकते हैं। बच्चों के लिए भी औली बहुत ही आदर्श जगह है। यहाँ पर पड़ी बर्फ किसी खिलौने से कम नहीं होती है। इस बर्फ से बच्चे बर्फ के पुतले और महल बनाते हैं और बहुत खुश होते हैं। स्की करने के लिए व्यस्कों से रू. 475 और बच्चों से रू. 250 शुल्क लिया जाता है। स्की सीखाने के लिए रू. 125-175, दस्तानों के लिए रू. 175 और चश्मे के लिए रू. 100 शुल्क लिया जाता है। 7 दिन तक स्की सीखने के लिए भारतीय पर्यटकों से रू. 4,710 और विदेशी पर्यटकों से रू. 5,890 शुल्क लिया जाता है। 14 दिन तक स्की सीखने के लिए भारतीय पर्यटकों से रू. 9,440 और विदेशी पर्यटकों से रू. 11,800 शुल्क लिया जाता है। )

                                  

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                                                           ( जोशीमठ और औली का फोटो )




जोशीमठ 



जोशीमठ 

                                        

औली से दीखता नंदा देवी शिखर 



औली में घुमन्तु बाबा चाय का आनंद लेते हुए