शनिवार, 17 अगस्त 2019

काठमांडू (Nepal) से जनकपुर यात्रा

           12 अगस्त 2019 को रात्रि में जनकपुर में विश्राम करने के बाद 13 अगस्त को 7:00 बजे जागा यह एक नेपाल में बहुत ही प्रसिद्ध धर्म स्थल है जहां पर भव्य राम जानकी का मंदिर बना हुआ है और यह  क्षेत्र तराई क्षेत्र नेपाल का है यह क्षेत्र में भारत के बिहार स्टेट  के लोग का बेटी रोटी का संबंध है यहां पर मैथिली भाषा बोला जाता है और मैथिली खानपान मिलता है नेपाल में जो 7 राज्य बने उसमें एक राज की राजधानी जनकपुर भी है जिसे स्टेट टू 2 बोला जाता है यहां पर हवाई अड्डा है जिससे की  नेपाल के विभिन्न स्थलों पर जाने के लिए  सेवा भी यहां से उपलब्ध है सुबह 7:00 बजे उठने के पश्चात स्नान ध्यान किया और जनकपुर मंदिर की और भ्रमण करने के लिए चल गया यहां पर भ्रमण किया राम जानकी मंदिर का दर्शन किया  जो भी जनकपुर में देखने लायक जगह थे उस जगह पर जा करके देखा इसमें पौराणिक मंदिर मूर्तियां का दर्शन हुआ  राम जानकी मंदिर में हमेशा पूजा पाठ कीर्तन भजन चलते रहता है तो मैंने भी भजन मंडली में जा कर के बैठा और भजन किया जिससे कि मन को काफी शांति मिला यहां पर भी देश-विदेश के लोगों का आना जाना लगा रहता है नेपाल एक हिंदू राष्ट्र है और यहां का संस्कृति भारत से काफी मिलता-जुलता है दुनिया में मात्र नेपाल ही एक ऐसा राष्ट्र है जो हिन्दू  राष्ट्र है और यहां का खान पान वेशभूषा भारत से काफी मिलता-जुलता है यहां पर जाने के लिए बहुत सारे रास्ते हैं जैसे बिहार के सीतामढ़ी होते हुए भी था मोड़ से जनकपुर जाया जा सकता है रक्सौल से जाया जा सकता है और जयनगर मधुबनी से जाया जाता है यहां पर रेल सुविधाएं नेपाल में भी नहीं है भारत सरकार के सहयोग से जयनगर से जनकपुर तक का रेलवे लाइन का कार्य चल रहा है और संभावना है कि अगले 1 साल में यहां से जयनगर तक रेल सुविधा हो जाएगा यदि असुविधा हो जाएगा तो काफी लोगों को सहूलियत होगी अभी पटना से जयनगर एवं रक्सौल तक ट्रेन की सुविधा भारत सरकार द्वारा दिया गया है और जल्द ही जनकपुर तक का ट्रेन का सफर शुरू होने की संभावना है यही पे प्रभु राम की शादी सीता से हुई थी जो कि यहां पर उसका साक्ष्य मौजूद है यही धनुषा में श्रीराम द्वारा धनुष को तोड़ा गया था जिसका साक्षा आज भी वहां पर मौजूद है यहां पर ठहरने के लिए अनेकों होटल धर्मशाला बने हुए हैं जहां पर रात्रि विश्राम किया जा सकता है तो दोस्तों जब भी नेपाल में भ्रमण करने के लिए है तो एक बार जनकपुर में जरूर है क्योंकि जनकपुर नेपाल का धार्मिक सांस्कृतिक नगर है और जनकपुर एक विकसित शहर है.यहाँ से बस द्वारा भी आया जा सकता है .

Note -यह हिंदू मंदिर नेपाल के जनकपुर के केंद्र में स्थित है. राजा जनक के नाम पर शहर का नाम जनकपुर रखा गया था. राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें जानकी भी कहते हैं, उनके नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ था. यह नगरी मिथिला की राजधानी थी. जानकी मंदिर साल 1911 में बनकर तैयार हुआ था. क़रीब 4860 वर्ग फ़ीट में फैले इस मंदिर का निर्माण टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु ने करवाया था. जनकपुर के स्थानीय पत्रकार बृज कुमार यादव के मुताबिक इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक कहानी है. उन्होंने बताया कि 'पहले यहां जंगल हुआ करता था, जहां शुरकिशोर दास तपस्या-साधन करने पहुंचे थे. यहां रहने के दौरान उन्हें माता सीता की एक मूर्ति मिली थी, जो सोने की थी. उन्होंने ही इसे वहां स्थापित किया था. टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु एक बार वहां गई थीं. उन्हें कोई संतान नहीं थी. वहां पूजा के दौरान उन्होंने यह मन्नत मांगी थी कि अगर भविष्य में उन्हें कोई संतान होती है तो वो वहां मंदिर बनवाएंगी. संतान की प्राप्ति के बाद वो वहां लौटीं और साल 1895 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और 16 साल में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ. ऐसा कहा जाता है कि उस समय इसके निर्माण पर कुल नौ लाख रुपए खर्च हुए थे, इसलिए इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहते हैं.मंदिर में 12 महीने अखंड कीर्तन चलता रहता है. 24 घंटे सीता-राम नाम का जाप यहां लोग करते हैं. साल 1967 से लगातार यहां अखंड कीर्तन चल रहा है. वर्तमान में राम तपेश्वर दास वैष्णव इस मंदिर के महंत हैं. वे जानकी मंदिर के 12वें महंत हैं. परंपरानुसार अगले महंत का चुनाव वर्तमान महंत करते रहे हैं.जानकी मंदिर में तीर्थ यात्री न सिर्फ़ भारत से बल्कि विदेशों से भी आते हैं. यहां यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया से भी तीर्थ यात्री आते हैं. मंदिर में मां सीता की मूर्ति अत्यंत प्राचीन है जो 1657 के आसपास की बताई जाती है.)



















राम जानकी मंदिर ,जनकपुर