सोमवार, 7 अगस्त 2023

प्रकृति एवं संस्कृति प्रेमियों का स्थल गुप्ता (गुप्तेश्वरनाथ) धाम, सासाराम...

            घर के बाहर अंधेरा  बेसब्री से सूरज के उगने का इंतज़ार कर रहा है । शायद अंधेरा जानता है कि मेरे लिए कितना खास है। मैंने 17 जुलाई 2023 को  रोहतास जिले का चेनारी प्रखंड  में स्थित  गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए निश्चय किया था । 17 जुलाई 2023  को  सुबह के 4:00 बज रहे हैं। हम सूरज का सूरजमुखी की तरह चार पहियों गाड़ी  का इंतज़ार कर रहे हैं। चार पहियों का वाहन द्वारा औरंगाबाद से अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन आया , अनुग्रह नारायण रोड से ट्रेन द्वारा डिहरी , सासाराम होते हुए कुदरा स्टेशन उतरकर टिनपहिया वाहन से चनेरी गया । चनेरी से जीविका औरंगाबाद जिला का ट्रेनिंग ऑफिसर चन्दन कुमार के परिवार के  मोटरसाइकिल (अपाची ) द्वारा दुर्गावती डैम पहुच गया ।  श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित होने के कारण गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं ने श्रावणी का पारंपरिक पोशाक धारण कर जा रहे थे । हंसते-हंसाते, गाते-गुनगुनाते 1 बजे  बजे मोटरसाइकिल द्वारा  गुप्ता धाम  पहुंचे। दुर्गावती डैम पहुँच कर विंध्य पर्वत माला का कैमूर पहाड़ों , दुर्गावती  नदी एवं नोक  विहार का नजारा देख कर मन प्रफुल्लित हो गया ।  चेनारी से मोटरसाइकिल पर  में बैठने के  10-12 मिनट बाद रास्ते में पहाड़ियां आना शुरू हो गईं। पहाड़ों की  हवा और झरने अमृत है। ऐसा लग रहा है की मैं प्रकृति की गोद में आ गया हूँ । ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों के बदन पर दुर्गावती नदी का किनारा  पर द्विपहिया वहान  एवं श्रद्धालुओं की कतारें  ।  ठंडी-ठंडी हवा के साथ ताज़गी, पेड़ों पर छलांग मारते बंदर, कलरव करती झरने  मानो द्वारपाल की तरह हमारे ऊपर इत्र छिड़क रहे हों। पहाड़ों का सौंदर्य और ताज़गी भरी हवाओं का ऐसा मेल मिलन  से मानो मुझे प्रकृति से कुछ  सीखने का मौका मिल गया हो! प्रकृति का आनंद लेते हुए दुर्गावती डैम से गुप्ताधाम तक 17  किमि दूरी एवं  २  घंटे बाद गुप्ताधाम की गुफा  पहुंचे । रास्ते में खोवा , दही , चने , फल , लिट्टी चोखे खाया और झरनों के जल से प्यास बुझाई । गुप्ताधाम का दुकान पर द्विपहिया वाहन रखा । दुकान से पैदल गुप्ताधाम की गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के लिए चल दिया । अब रोड से  ऊपर  चढ़ाई चढ़ी और विश्व की लंबी चौड़ी गुफा के मुख्य द्वार पर दस्तक दिया । गुफा के अंदर दो-तीन मिनट  के बाद सासें फूलने  शुरू हो गई। गुफा में सासें फूलने के बाद गुफा में बैठ गया । बैठने के जगह पर तीन ऑक्सीजन सिलेंडर पड़ा था परंतु दिखावा मात्र था । अगल बगल प्राकृतिक  शिवलिंग थे । 5 मिनट के बाद बाबा गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन करने के लिए गुफा में चलना प्रारम्भ किया । गुफा में चलने पर जल की बूंदे गुफा की दीवारों पर टपक रहा था । गुफाओं की अनुभूति और जल की बूंदें हमे आनंदित कर रहा था । हमें लगभग 200 फिट गुफा में और चलना है। अंततः बाबा गुप्तेश्वरनाथ का दर्शन करने के बाद आनंदित हो गया ।मुझे चलते-चलते गुप्ताधाम में बिताए हुए पल याद आ रहे थे। रास्ते के पेड़, घास, झरने , दुर्गावती की निरंतर प्रवाह , झरनों में स्नान और  चिड़िया  का कलरव की याद आनंद से वशीभूत किया हैं। गुप्ताधाम की हरियाली, साफ हवा और चिड़ियों की आवाज़ सुनकर मेरा मन खुश हो गया। ऐसी चीज़ें शहरों में नहीं के बराबर होती हैं ।

सावन के महीने में हर कोई भगवान शिव की आराधना कर रहा है। देशभर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर हम आपको भोलेनाथ की एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य आजतक कोई नहीं जान सका।हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले के गुप्तेश्वर धाम गुफा स्थित शिवलिंग की महिमा का। पौराणिक आख्यानों में वर्णित भगवान शंकर और भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर आज भी रहस्यमय बना हुआ है। देवघर के बाबाधाम की तरह गुप्तेश्वरनाथ यानी 'गुप्ताधाम' श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है। यहां बक्सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है।  रोहतास में अवस्थित विंध्य श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा की प्राचीनता के बारे में कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद अब तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक। गुफा में गहन अंधेरा होता है, बिना कृत्रिम प्रकाश के अंदर जाना संभव नहीं है। पहाड़ी पर स्थित इस पवित्र गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा और 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है। गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें साल भर पानी रहता है। श्रद्धालु इसे पाताल गंगा कहते हैं।प्राकृतिक शिवलिंग पर टपकता रहता है पानी गुफा के अंदर स्थापित प्राकृतिक शिवलिंग पर हमेशा ऊपर से पानी टपकता है। इस पानी को श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस स्थान पर सावन के महीने के अलावा सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है। कुछ किवदंतियों के अनुसार कैलाश पर्वत पर मां पार्वती के साथ विराजमान भगवान शिव ने जब भस्मासुर की तपस्या से खुश होकर उसे किसी के सिर पर हाथ रखते ही भस्म करने की शक्ति का वरदान दिया था। भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने के लिए उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। वहां से भागकर भोले यहां की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे। भगवान विष्णु से शिव की यह विवशता देखी नहीं गई और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोले बाहर निकले।
             रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से करीब 55 किलोमीटर दूरी पर स्थित गुप्ताधाम गुफा बाबा गुप्तेश्वर धाम में पहुंचने के लिए रेहल, पनारी घाट और उगहनी घाट से तीन रास्ते हैं जो दुर्गम रास्ते है. अब नया रास्ता दुर्गावती डैम से गुप्ताधाम धाम के लिए जाता  है. इस रास्ते से वाहन  भी जाती है जो 18 KM जंगल,नदी,पहाड़, झरना से हो कर जाना पड़ता है यह रास्ता रोमांचक एवम मनमोहक है यह  रास्ता दुर्गावती नदी के किनारे से हो कर गुजरती है रास्ते में बंदर ,अन्य जंगली जानवर भी देखने को मिलता है।

नोट _ विशेष जानकारी के लिए गूगल या यूट्यूब नीचे दिए गए लिंक पर गुप्ता धाम सासाराम सर्च करके जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।
                        https://youtu.be/6cr-6LVYDFU
                         



Durgwati Dam 

sugwa River 





Gupta dham Temple

raste me bikta khowa

       Gupta dham cave


gupta dham shivling 


Gupta dham Cave dwar 







Durgati dam

water fall 



gupta dham gufa 




















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