7 जुलाई, 2023 की वह सुबह, जब मैं औरंगाबाद की शांत गलियों से निकलकर रोहतास जिले के गुप्तेश्वरनाथ धाम की ओर बढ़ा, मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय पल बन गया। अंधेरे में डूबी सुबह, सूरज के उगने की प्रतीक्षा, मानो एक नई यात्रा की शुरुआत का प्रतीक थी। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक आध्यात्मिक खोज थी, एक ऐसा अनुभव जो मेरे मन और आत्मा को गहराई से छू गया।
यात्रा की शुरुआत: औरंगाबाद से गुप्तेश्वर धाम तक
मेरी यात्रा की शुरुआत औरंगाबाद से हुई। सुबह की ठंडी हवा और दूर-दूर तक फैले खेत, एक शांत और सुकून भरा माहौल बना रहे थे। मैं एक चार पहिया वाहन में बैठकर अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुआ। वहां से, मैंने ट्रेन पकड़ी और डिहरी और सासाराम होते हुए कुदरा स्टेशन तक का सफर तय किया। यह सफर लंबा और थका देने वाला था, लेकिन मेरे मन में गुप्तेश्वर धाम के दर्शन की उत्सुकता और उत्साह बना हुआ था।
कुदरा स्टेशन पर उतरने के बाद, मैंने एक टिनपहिया वाहन लिया और चनेरी की ओर बढ़ा। चनेरी में, मुझे जीविका औरंगाबाद जिला के ट्रेनिंग ऑफिसर चंदन कुमार और उनके परिवार का साथ मिला। उनके साथ मोटरसाइकिल पर दुर्गावती डैम की यात्रा शुरू हुई।
दुर्गावती डैम: प्रकृति का अद्भुत नज़ारा
दुर्गावती डैम पर पहुंचते ही, मैंने एक अद्भुत दृश्य देखा। विंध्य पर्वत माला के कैमूर पहाड़ों, दुर्गावती नदी और नोक विहार का मनमोहक नज़ारा देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया। हरे-भरे पेड़, कल-कल बहती नदी और शांत वातावरण ने मेरे मन को शांति और सुकून से भर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे मैं प्रकृति की गोद में आ गया हूँ। इस डैम का निर्माण 1976 में शुरू हुआ था और 2014 में पूरा हुआ। यह डैम 637.75 मीटर लंबा और 46.33 मीटर ऊँचा है। यह डैम दुर्गावती नदी पर बना हुआ है।
गुप्तेश्वर धाम की ओर: रोमांचक सफर
दुर्गावती डैम से गुप्ताधाम तक का सफर बेहद रोमांचक था। पहाड़ों की घुमावदार सड़कें, ताज़ी हवा, झरनों का पानी और चारों ओर फैली हरियाली, एक अद्भुत अनुभव प्रदान कर रही थी। रास्ते में मिलने वाले छोटे-छोटे झरनों में स्नान करना और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना, इस यात्रा को और भी यादगार बना रहा था। इस रास्ते में बहुत सारे प्राचीन मंदिर भी है। जो देखने में बहुत ही अद्भुत है।
गुप्तेश्वरनाथ की गुफा: एक रहस्यमयी दुनिया
लगभग दो घंटे की यात्रा के बाद, हम गुप्ताधाम की गुफा के मुख्य द्वार पर पहुंचे। गुफा के अंदर का अंधेरा और शांत वातावरण थोड़ा डरावना तो था, लेकिन साथ ही आकर्षक भी। गुफा के अंदर प्राकृतिक शिवलिंग और जल की बूंदें टपकती हुई दिखाई दीं। गुफा के अंदर आगे बढ़ते हुए, मैंने बाबा गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन किए। शिवलिंग पर टपकती जल की बूंदें, एक दिव्य और रहस्यमयी अनुभव प्रदान कर रही थीं।
गुप्तेश्वर धाम का इतिहास और रहस्य
गुप्तेश्वर धाम की गुफा के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि यह गुफा प्राकृतिक है और इसका निर्माण मानव ने नहीं किया है। कुछ लोग इसे भगवान शिव का निवास स्थान मानते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर ने भगवान शिव की तपस्या करके उनसे वरदान मांगा कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। वरदान मिलते ही भस्मासुर भगवान शिव के पीछे पड़ गया। भगवान शिव उससे बचने के लिए इस गुफा में छिप गए थे।
गुफा के अंदर की संरचना भी अद्भुत है। प्राकृतिक चट्टानों और पत्थरों से बनी यह गुफा, एक रहस्यमयी दुनिया का अनुभव कराती है। गुफा के अंदर की ठंडी हवा और शांत वातावरण, एक अलग ही शांति प्रदान करते हैं। गुफा के अंदर की दीवारों पर प्राकृतिक आकृतियाँ और चित्र भी देखने को मिलते हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं।
यात्रा का अंत और यादगार पल
गुप्तेश्वर धाम से वापस लौटते समय, मेरे मन में कई तरह के विचार आ रहे थे। इस यात्रा ने मुझे प्रकृति के करीब लाया था और जीवन के कई सवालों के जवाब दिए थे। गुप्ताधाम की हरियाली, साफ़ हवा और चिड़ियों की आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजती रहती है।
गुप्तेश्वर धाम की यात्रा की योजना
यदि आप भी गुप्तेश्वर धाम की यात्रा करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- जाने का सबसे अच्छा समय: गुप्तेश्वर धाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों का होता है। मानसून में, चारों ओर हरियाली होती है और झरने सक्रिय होते हैं। सर्दियों में, मौसम सुहावना होता है और यात्रा आरामदायक होती है।
- कैसे पहुंचे: गुप्तेश्वर धाम तक पहुंचने के लिए, आप ट्रेन या सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन कुदरा है। वहां से, आप टैक्सी या स्थानीय परिवहन का उपयोग करके गुप्ताधाम तक पहुंच सकते हैं।
- क्या करें: गुप्तेश्वर धाम में, आप गुफा के अंदर भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। आप आस-पास के झरनों में स्नान कर सकते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। आप स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद ले सकते हैं।
- क्या ले जाएं: अपनी यात्रा के दौरान, आरामदायक कपड़े, जूते, पानी की बोतल, और कुछ स्नैक्स ले जाना सुनिश्चित करें। गुफा के अंदर अंधेरा होता है, इसलिए एक टॉर्च भी ले जाना उपयोगी हो सकता है।
यात्रा का निष्कर्ष
गुप्तेश्वर धाम की यात्रा मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस यात्रा ने मुझे प्रकृति के करीब लाया और जीवन के कई सवालों के जवाब दिए। यदि आप भी प्रकृति के करीब जाना चाहते हैं और एक शांत वातावरण में कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो गुप्तेश्वर धाम आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
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