दिनांक 18 अगस्त 2024, दिन रविवार को हम पूरी फैमिली जिसमे मेरी पत्नी अनीता दोनों बच्चे दिवयांशु एवं प्रियांशु एवं मेरा छोटा साला सौरव (अंकु ) घुमने के लिए उमगा पहाड़ तथा सूर्य मंदिर देव गए जो औरंगाबाद में स्थित है। हमने यात्रा की शुरुआत एक टेम्पो से की। यह बहुत ही अच्छा साधन है कम दूरी के भ्रमण के लिए। टेम्पो में हम सब बातें कर रहे थे और दोनों बच्चे नटखट अंदाज में बैठकर सफर का मजा ले रहे थे। रास्ते में हमें कई तरह के छोटे-मोटे पहाड़, खेत-खलिहान और सुंदर-सुंदर पेड़-पौधे दिखाई दे रहे थे। बातें करते-करते न जाने कब एक घंटा बीत गया और हम लोग उमगा पहाड़ के करीब पहुँच गए।
जैसे ही हाईवे NH2 से नीचे टेम्पो उतरी और अंदर पतली सी पगडंडी वाली गली में घुसने लगी, वहाँ हमें छोटे-मोटे स्थानीय बाजार दिखाई देने लगे। वहाँ बहुत तरह के सामान बिक रहे थे, जिसमें ज्यादातर वहाँ के स्थानीय लोग ही बेचने वाले थे। वहाँ हमें स्थानीय मिठाई, खेल-खिलौने तथा सब्जियों के बाजार दिखाई दिए। वहाँ के प्रतिदिन की अपनी जीविका चलाने के लिए लोग इन्हें बेचते हैं और उनसे जो आमदनी होती है, उनसे अपने परिवार का परवरिश करते हैं।
जैसे-जैसे हम लोग आगे बढ़ रहे थे, मंदिर के करीब वैसे-वैसे रास्ते ऊँचे हो रहे थे क्योंकि वहाँ के मंदिर और रास्ते पहाड़ पर बने हुए हैं। जब हम वहाँ पहुँचे तो टेम्पो वाले भैया ने छाँव में टेम्पो रोक दी और हम सब सीढ़ियों के रास्ते उमगा पहाड़ की ओर चढ़ने लगे। पहाड़ चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। वहाँ के मनमोहक तथा प्राकृतिक दृश्य हमें आकर्षित कर रहे थे क्योंकि नजारे बहुत ही खूबसूरत थे। पहले तो हमें लगा कि सीढ़ियाँ 50-60 से ज्यादा नहीं होंगी, पर जैसे-जैसे चढ़ते गए, हमें बीच रास्ते में पता चला कि ये सीढ़ियाँ तो खत्म ही नहीं होतीं। बीच-बीच में बहुत सारे मंदिर हैं। अंततः हम उस मंदिर पर पहुँच चुके थे जहाँ हमें जाना था। मंदिर काफी भव्य था। हाथ-पैर धोकर हम सब मंदिर में प्रवेश किए। मंदिर के अंदर का वातावरण बहुत ही शांत तथा मनमोहक था। हम सबने दर्शन करके प्रसाद ग्रहण किया तथा थोड़ी देर मंदिर के परिसर में बैठकर प्रार्थना की। मंदिर से बाहर आकर हमने देखा कि श्रद्धालु और भी बढ़ रहे हैं। हमने वहाँ बहुत सुंदर तस्वीरें खिंचवाईं। हम सब वहाँ से फिर से पहाड़ की ऊपरी ओर बढ़ चले। जैसे-जैसे ऊपर बढ़ रहे थे, हमें छोटी-छोटी और भी मंदिर दिखाई दे रहे थे। गर्मी ज्यादा लग रही थी, बीच रास्ते में पहाड़ के ऊपर पानी पीने का भी साधन बना हुआ है। हमने पानी पीया और सुंदर तस्वीरें अपने फोन में लेते हुए ऊपर की ओर बढ़ रहे थे। हमने और ऊपर जाकर देखा तो एक बड़ी चट्टान के अंदर श्रद्धालु लोग बैठकर पूजा कर रहे थे। पहाड़ की चोटी पर जाने वाले रास्ते खत्म नहीं हो रहे थे। यह बहुत लंबी यात्रा थी। हम सबने फैसला किया कि हमें अब नीचे उतरना चाहिए क्योंकि बच्चे भी थे और गर्मी अधिक थी। नीचे उतरने के बाद हम सब वहाँ के स्थानीय बाजार के छोटे से झोपड़ी वाले होटल में बैठकर समोसे तथा जलेबी खाए। थोड़ी देर आराम करने के बाद उसी टेम्पो में बैठकर हम सब देव मंदिर के लिए निकल पड़े जो वहाँ से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। देव मंदिर पहुँचने के बाद हमने वहाँ भी दर्शन किए। वहाँ का नजारा भी बहुत ही सुंदर था और मंदिर भी बहुत भव्य था। उस मंदिर में दर्शन करने के बाद, मंदिर के परिसर में हम सब बैठकर बहुत ही सुंदर-सुंदर तस्वीरें खिंचवाईं। वहाँ के नजारे भी बहुत ही मनमोहक थे। देव मंदिर का इतिहास भी बहुत ही विचित्र है। देव मंदिर में बिहार का बहुत ही प्रसिद्ध त्योहार छठ हर साल मनाया जाता है। छठ त्योहार मनाने के लिए देव में ही दो तालाबें हैं। मंदिर से बाहर निकलने के बाद वहाँ के स्थानीय बाजार में हम सब घूम रहे थे और वहाँ की स्थानीय खाद्य सामग्री का आनंद ले रहे थे, जैसे वहाँ की चाट, तथा टमाटर के बने हुए चाट खाए। बच्चों ने अपने लिए कुछ खिलौने खरीदे। वहाँ जाकर हमें बहुत ही शांति और सुकून मिला। उमगा सूर्य मंदिर मदनपुर प्रखंड तथा देव सूर्य मंदिर, देव प्रखंड में औरंगाबाद जिला के बिहार राज्य में स्थित हैं। हमें एक बार जरूर वहाँ भ्रमण करना चाहिए। देव मंदिर में हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु दूसरे राज्यों से भी छठ का त्योहार मनाने आते हैं। वहाँ से हम सब उसी टेम्पो में बैठकर घर (औरंगाबाद) की ओर वापस चल दिए।
**औरंगाबाद में प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण**
उमंगा सूर्य मंदिर रंगाबाद में प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण में से एक उमगा है। शहर के पूर्व में 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, तीर्थयात्री केंद्र में एक सूर्य मंदिर है। इसकी वास्तुकला के संदर्भ में, देवता में निर्मित सूर्य मंदिर मिलते हैं। स्क्वायर ग्रेनाइट ब्लॉकों का इस्तेमाल शानदार मंदिर के लिए किया जाता है, जिसमें भगवान गणेश, सूर्य भगवान और भगवान शिव के देवता हैं। पुरातत्वविदों और इतिहासकारों को निश्चित रूप से इस मंदिर को एक विशेष स्थान पर जाना चाहिए।
देव सूर्य मंदिर देश के प्राचीन देव सूर्य मंदिरों में से एक है, जो 8वीं सदी का मंदिर है और छठ पूजा के दौरान पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह मंदिर चंद्रवंशी राजा भैरवेंद्र सिंह द्वारा 8वीं शताब्दी ईस्वी में बनवाया गया था और यह देश के प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। 100 फीट ऊँचा यह मंदिर अपनी वास्तुकला में कोणार्क मंदिर जैसा दिखता है। देव मंदिर की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह पश्चिम की ओर मुख करता है जबकि पारंपरिक सूर्य मंदिर पूर्व की ओर मुख करते हैं। देव वह स्थान है जहाँ छठ (सूर्य देवता को समर्पित बिहार का सबसे पवित्र त्योहार) विधिपूर्वक मनाया जाता है। देव मंदिर का भ्रमण छठ के दौरान करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जब हजारों भक्त चार दिनों तक कठोर अनुष्ठान करते हैं।
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सूर्य मंदिर ,उमंगा |
देव सूर्य मंदिर |