यात्रावृत्तांत एक ऐसी रचना है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी यात्रा का विवरण ब्योरेवार लिखता है। इसमें यात्रा के दौरान हुए अनुभव, देखे गए दृश्य, मिले लोग, खाई गई चीजें आदि सब कुछ शामिल होता है। यात्रावृत्तांत को लिखने से न केवल यात्रा के यादगार पल हमेशा के लिए सुरक्षित रह जाते हैं बल्कि दूसरों को भी उस स्थान के बारे में जानने का मौका मिलता है।
रविवार, 17 अगस्त 2025
राजगीर यात्रा: गर्म कुंड से लेकर जू सफारी तक का रोमांचक सफर...

बुधवार, 13 अगस्त 2025
यात्रा क्यों करनी चाहिए ,यात्रा के फायदे एवं यात्रा में होम स्टे क्या है ?...
मनुष्य का स्वभाव ही गतिशील है। जन्म से लेकर अंतिम सांस तक वह एक यात्रा में ही रहता है—कभी अपने गाँव से शहर, कभी देश से विदेश, तो कभी सिर्फ कुछ पलों की सैर के लिए। यात्रा केवल जगह बदलना नहीं है, बल्कि यह जीवन में नई ऊर्जा, नए अनुभव और नए दृष्टिकोण भरने की प्रक्रिया है।
प्राचीन काल में यात्रा कठिन थी—न सड़कें थीं, न तेज वाहन। लोग पैदल, बैलगाड़ी या ऊँट-घोड़े पर महीनों सफर करके मंज़िल पर पहुँचते थे। फिर भी वे निकलते थे, क्योंकि यात्रा केवल दूरी तय करना नहीं, बल्कि खुद को और दुनिया को जानने का माध्यम भी थी।
आज के आधुनिक दौर में यात्रा आसान है, लेकिन उसका महत्व अब भी उतना ही है जितना सदियों पहले था। सवाल है—आख़िर यात्रा करनी क्यों चाहिए? आइए, जानते हैं।
1. अपने आप से मिलने का मौका
जब हम घर से बाहर निकलते हैं, परिचित माहौल छोड़ते हैं, तो हमारी पहचान सिर्फ "हम" तक सिमट जाती है। यह समय हमें खुद को समझने, अपनी क्षमताओं को पहचानने और आत्मविश्वास बढ़ाने का अवसर देता है। रोजमर्रा की भागदौड़ से हटकर हम अपने मन की आवाज़ सुन पाते हैं।
2. व्यक्तित्व का विकास
यात्रा के दौरान नए लोग, नए स्थान और नई परिस्थितियाँ मिलती हैं। हर चुनौती—चाहे रास्ता ढूंढना हो, भाषा समझना हो, या अचानक बदलते मौसम से निपटना हो—हमें साहसी और मिलनसार बनाती है। इससे झिझक कम होती है और व्यक्तित्व निखरता है।
3. नीरसता का अंत
रोज़-रोज़ एक जैसे काम करते रहने से मन ऊब जाता है। यात्रा हमें हर पल कुछ नया दिखाती है—सुबह का सूरज किसी घाटी में, किसी झरने की कल-कल, या अनजान बाज़ार की चहल-पहल। ये अनुभव मानसिक थकान को दूर करके जीवन में ताजगी भरते हैं।
4. नई चीज़ों का अनुभव
यात्रा किताबों में पढ़ी बातों को आँखों के सामने ले आती है। अलग-अलग संस्कृतियों, भाषाओं, खानपान और वेशभूषा को प्रत्यक्ष देखकर जो सीख मिलती है, वह जीवन भर साथ रहती है।
5. तनाव और चिंता से मुक्ति
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि यात्रा हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालती है। नई जगह, नया वातावरण और आरामदेह समय हमारे तनाव को कम करके मन को शांति देता है।
6. सामाजिक दायरा बढ़ाना
सोशल मीडिया के इस युग में हम हजारों "ऑनलाइन दोस्त" बना सकते हैं, लेकिन असली अपनापन आमने-सामने मिलने से ही आता है। यात्रा में हम न केवल नए लोगों से जुड़ते हैं, बल्कि पुराने रिश्तों को भी गहरा कर सकते हैं।
7. आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनना
यात्रा में कई बार हमें खुद ही समस्याओं का हल निकालना पड़ता है—चाहे वह होटल ढूंढना हो या बस का टिकट बुक करना। यह आत्मनिर्भरता हमें जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी मदद करती है।
8. नई संस्कृति की समझ
किसी संस्कृति को समझने के लिए वहाँ के लोगों के बीच रहना जरूरी है। यात्रा हमें उस समाज के रीति-रिवाज, परंपराएं और सोच को नज़दीक से देखने का मौका देती है।
🏞 यात्रा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ
1. इम्यून सिस्टम मजबूत होता है – अलग-अलग वातावरण में रहने से शरीर नए बैक्टीरिया और परिस्थितियों से लड़ना सीखता है।
2. सकारात्मक सोच बढ़ती है – नए अनुभव, नए दृश्य मन में खुशियां भरते हैं।
3. वजन और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है – घूमने में होने वाली पैदल चाल और शारीरिक गतिविधियां फिटनेस बढ़ाती हैं।
4. उम्र में वृद्धि – प्रकृति के बीच समय बिताना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को बेहतर करता है।
5. काम में उत्पादकता बढ़ती है – यात्रा से लौटकर मन तरोताजा होता है, जिससे कार्य में एकाग्रता और रचनात्मकता आती है।
6. दिमाग सक्रिय रहता है – नए अनुभव और चुनौतियाँ दिमाग की सोचने की क्षमता को तेज करती हैं।
🏡 यात्रा में होमस्टे का आनंद
होमस्टे यानी ऐसा ठिकाना जहाँ आप होटल के बजाय किसी स्थानीय परिवार के घर में ठहरते हैं। यहाँ आपको सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि एक स्थानीय जीवन का असली अनुभव मिलता है।
होमस्टे के फायदे:
घर जैसा अपनापन और आराम
होटल से सस्ता विकल्प
स्थानीय परंपराओं में भागीदारी
पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद
क्षेत्रीय रेसिपी सीखने का मौका
ग्रामीण और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान
पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पर्यटन
जब आप होमस्टे में रहते हैं, तो यात्रा सिर्फ "देखने" तक सीमित नहीं रहती—वह "जीने" का अनुभव बन जाती है।
📚 राहुल सांकृत्यायन और घूमक्कड़ी का दर्शन
भारत के "यात्रा पुरुष" कहे जाने वाले राहुल सांकृत्यायन का मानना था—
> "दुनिया की सबसे बड़ी वस्तु है घूमक्कड़ी। घूमक्कड़ व्यक्ति और समाज, दोनों के लिए हितकारी होता है।"
वे कहते थे कि चाहे समय सुख का हो या दुख का, यात्रा और खोज का महत्व हमेशा बना रहता है। आदिकाल में मनुष्य स्वभाव से ही घूमक्कड़ था, और आधुनिक युग में भी उसकी यह प्रवृत्ति ज्ञान, अनुभव और दृष्टिकोण का विस्तार करती है।
इतिहास में कई खोज, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान यात्राओं से ही संभव हुए—बौद्ध भिक्षुओं का धर्म प्रचार, यूरोप-अमेरिका में वैज्ञानिक यात्राएं, और भारत में तीर्थयात्राएं इसका प्रमाण हैं।
🌟 निष्कर्ष
यात्रा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला एक अद्भुत साधन है। यह हमें अपने भीतर झाँकने, नए अनुभव लेने, व्यक्तित्व निखारने और समाज से जुड़ने का मौका देती है। स्वास्थ्य, मानसिक शांति और सांस्कृतिक समझ—तीनों में यात्रा का योगदान अद्वितीय है।
और अगर इस यात्रा में आप होमस्टे का अनुभव ले लें, तो मान लीजिए कि आपने उस जगह को सिर्फ देखा ही नहीं, बल्कि जिया भी है।
तो अगली बार जब आपको जीवन नीरस लगे, या मन कहीं भागने को कहे—तो सामान पैक करें, निकल पड़ें। क्योंकि, जैसा राहुल सांकृत्यायन ने कहा—
> "यात्रा से ही मनुष्य की दृष्टि विस्तृत होती है, और दृष्टि का विस्तार ही जीवन का असली विकास है।"

घुमक्कड़ी: जीवन का असली विश्वविद्यालय – मेरे गुरु राहुल सांकृत्यायन की यात्रा से सीख...

सोमवार, 11 अगस्त 2025
उदयगिरि की गुफाएँ: ओडिशा का प्राचीन कला ...
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उदयगिरी के गुफाओं के पास धुमन्तु बाबा |
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उदयगिरी के गुफाओं के पास बैठ के सोचते धुमन्तु बाबा की इन पत्थरो को काट कर कैसे बनाया होगा इन गुफाओं को |
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रत्नागिरी के पहाडो से खिचा गया एक फोटु |
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इस इतिहासिक जगह को देख कर मन प्रसन्न हो गया |
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बोड पर लिखा गया उदयगिरी के बारे में पढ कर जानकारी लेते धुमनतु बाबा |
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उदयगिरी में 5 से 7 रू प्रति पिस नारियल का पानी मिलता है आप जब भी उदयगिरी आए तो नारियल पानी का मजा जरूर ले |

शेर शाह सूरी का मकबरा: भारत का दूसरा ताजमहल एक ऐतिहासिक धरोहर का सफर....
जुलाई 2024 की एक सुनहरी सुबह थी। मैं, अपने जीविका के साथी धर्मेंद्र जी और अनिल जी के साथ, सासाराम के ऐतिहासिक सफर पर था। मूल रूप से हम औरंगाबाद जिले से "जेंडर" विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने आए थे, लेकिन इतिहास प्रेमी मन कहाँ चैन लेने वाला था! जैसे ही समय मिला, हमने तय किया कि शेर शाह सूरी के मकबरे को देखना ही है।
सुबह 6 बजे, हल्की ठंडी हवा और धूप की पहली किरणों के साथ, हम होटल से निकल पड़े। पैदल यात्रा का आनंद ही कुछ और है, और जब गंतव्य 2 किलोमीटर की दूरी पर हो, तो हर कदम रोमांचक लगने लगता है। रास्ते में लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे, लेकिन हम तीनों के मन में बस एक ही तस्वीर थी — लाल बलुआ पत्थरों से सजा, झील के बीच तैरता इतिहास का अनमोल रत्न।
पहली झलक — झील में तैरता सपना
करीब 20 मिनट के पैदल सफर के बाद, वह दृश्य सामने था। विशाल झील के बीच में खड़ा शेर शाह सूरी का मकबरा, मानो समय को चुनौती देता हुआ। प्रवेश के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के काउंटर से प्रति व्यक्ति ₹20 का टिकट लिया। झील के किनारे खड़े होकर मैंने देखा — मकबरे की ऊँचाई, लाल पत्थरों की गरिमा, और पानी में पड़ती उसकी परछाईं, सब मिलकर एक चित्रकला जैसी सुंदरता रच रहे थे।
इतिहास के पन्नों में
शेर शाह सूरी (1486-1545), अफगान मूल के वह शासक, जिन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को पराजित कर उत्तर भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया। उनका शासन काल छोटा था, लेकिन प्रशासनिक सुधारों और सड़क निर्माण (विशेषकर ग्रैंड ट्रंक रोड) के लिए वे आज भी याद किए जाते हैं। 1545 में कालिंजर किले की घेराबंदी के दौरान उनका निधन हुआ, और उनकी याद में यह भव्य मकबरा 16वीं सदी के मध्य में बनवाया गया।
वास्तुकला का चमत्कार
इंडो-इस्लामिक शैली का अद्भुत नमूना
यह मकबरा इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। 122 फीट ऊँचा, अष्टकोणीय आधार वाला यह स्मारक लाल बलुआ पत्थर से बना है। इसकी योजना, अनुपात और सजावट इस बात का प्रमाण हैं कि 16वीं सदी में वास्तुकार कितनी परिष्कृत समझ रखते थे।
अष्टकोणीय योजना और विशाल गुंबद
मुख्य संरचना अष्टकोणीय आधार पर निर्मित है, जिसके ऊपर एक विशाल, सफेद चमक लिए गुंबद है। यह गुंबद न केवल सुंदर है, बल्कि ध्वनि और वायु प्रवाह के लिहाज़ से भी अद्भुत है।
झील और पत्थर का चबूतरा
मकबरा एक विशाल पत्थर के चबूतरे पर स्थित है, जो चारों ओर से कृत्रिम झील से घिरा है। यह झील न केवल सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि स्मारक को ठंडा और संरक्षित भी रखती है।
सजावटी गुंबददार खोखे
मुख्य गुंबद के चारों ओर छोटे-छोटे सजावटी गुंबददार खोखे हैं, जिनमें कभी रंगीन टाइलों का काम हुआ करता था। यद्यपि समय के साथ टाइलें फीकी पड़ गईं, लेकिन उनकी कलात्मक छाप अब भी दिखती है।
मकबरे का दूसरा नाम — भारत का दूसरा ताजमहल
ताजमहल जितना प्रसिद्ध तो नहीं, लेकिन कई इतिहासकार इसे "भारत का दूसरा ताजमहल" कहते हैं। कारण स्पष्ट है — इसका संतुलित डिज़ाइन, पानी के बीच स्थित होना, और प्रेम व सम्मान की भावना से प्रेरित निर्माण।
मेरा अनुभव — समय में पीछे की यात्रा
जब हमने प्रवेश द्वार पार किया, तो ऐसा लगा मानो 16वीं सदी में पहुँच गए हों। झील के बीच तक जाने के लिए बने पुल पर चलते हुए, हर कदम पर पानी में हिलती लहरें, आसमान का नीला रंग, और मकबरे की परछाईं एक जादुई अहसास देती थीं।
भीतर पहुँचकर मैंने देखा कि चारों तरफ नक्काशीदार मेहराबें और ऊँची खिड़कियाँ हैं। हल्की हवा गुंबद के भीतर गूंज पैदा कर रही थी — मानो दीवारें भी अपनी कहानी सुना रही हों। धर्मेंद्र जी और अनिल जी भी इतिहास में खोए हुए थे, हम सबकी बातचीत कम और कैमरे की क्लिक ज़्यादा हो रही थी।
वास्तुकला के पीछे की सोच
सूरी वंश की वास्तुकला में अफगान शैली का स्पष्ट प्रभाव दिखता है, लेकिन यहाँ भारतीय कारीगरी की नजाकत भी जुड़ी है। झील को स्मारक के चारों ओर बनाना सिर्फ सौंदर्य के लिए नहीं था, बल्कि यह सुरक्षा और जलवायु नियंत्रण का उपाय भी था।
कैसे पहुँचें — यात्रियों के लिए मार्गदर्शन
सड़क मार्ग: सासाराम शहर के किसी भी हिस्से से ऑटो, टैक्सी या पैदल यहाँ पहुँचना आसान है।
रेल मार्ग: सासाराम एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जो दिल्ली, पटना, वाराणसी आदि से जुड़ा है।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा गया और पटना में है। वहाँ से सड़क या रेल मार्ग से सासाराम पहुँचा जा सकता है।
आसपास के अन्य स्थल
अगर आप सासाराम में हैं, तो इन जगहों को भी देखना न भूलें:
1. रोहतासगढ़ किला — मध्यकालीन इतिहास का गढ़।
2. तारा चंद्र महल — सूरी वंश की एक और वास्तु धरोहर।
3. कुँवर सिंह स्मारक — 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की याद।
यात्रा सुझाव
सुबह या शाम का समय मकबरे के लिए सबसे अच्छा है, ताकि धूप ज्यादा तेज़ न हो और फोटोग्राफी शानदार हो।
बारिश के मौसम में झील और भी खूबसूरत लगती है, लेकिन फिसलन से सावधान रहें।
टिकट काउंटर से प्रवेश टिकट ज़रूर लें — ASI इसे संरक्षित करता है, और यह शुल्क संरक्षण कार्यों में मदद करता है।
निष्कर्ष — इतिहास, कला और शांति का संगम
शेर शाह सूरी का मकबरा सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि यह एक समय कैप्सूल है — जो हमें उस दौर की राजनीति, कला और इंजीनियरिंग से परिचित कराता है। झील के बीच स्थित यह संरचना शांति का प्रतीक है, जो आगंतुक को भीतरी स्थिरता और बाहरी सौंदर्य दोनों का अनुभव कराती है।
जैसे ही हम तीनों होटल की ओर लौट रहे थे, पीछे मुड़कर एक आखिरी बार उस मकबरे को देखा। पानी में तैरती उसकी परछाईं, सुनहरी सुबह की रोशनी, और हवा में इतिहास की खुशबू — यह सब हमेशा मेरी स्मृतियों में अंकित रहेगा।
अगर आप बिहार की यात्रा पर हैं, तो सासाराम के इस रत्न को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। यह आपको न सिर्फ इतिहास से जोड़ेगा, बल्कि आपको यह भी सिखाएगा कि सुंदरता और मजबूती का मेल कैसे सदियों तक कायम रह सकता है।

हिमालय की गोद में: बद्रीनाथ, माणा और आध्यात्मिक यात्रा ...
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ब्रदीनाथ जाने के लिए पहाडो में बना नया राश्ता |
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पचास रू का जोशी मठ का खाना |
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जोशीमठ |
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जोशीमठ का बस अडडा यही से ब्रदीनाथ एंव नीती दर्रा तथा औली के लिए गाडीयां जाती है |
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जे पी का 500 मेगावाट का पावर प्रोजेक्अ जो बुरी तरह समाप्त हो गया है |
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तप्तकुण्ड इसी कुण्ड में स्नान कर के बद्रीविशाल का दर्शन किया जाता है इस कुण्ड में पानी बेहद ही गर्म है जो चर्म रोगो से छुटकारा के लिए बेहद ही अच्छा है |
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बद्रीनाथ का मन्दिर |
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भारत का अन्तिम ग्राम माणा ग्राम |
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भिम पुल इसी के राश्ते स्वगोरोहनी एवं सतोपंथ जाया जाता है |
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माणा गांव में सब्जी की खेती करता एक किसान |
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बद्रीनाथ के समिप बैठे एक बाबा |
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ब्रदीनाथ का बस अडडा जो पुरी तरह से खोली पडा है नही आवे मई जुन में पैर रखने के लिए भी जगह नही मिलेगी |
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हनुमानचटी यहां पर हनुमान जी ने तपस्या किया था |
बद्रीनाथ में बहता अलकनन्दा नदी |
बद्रीनाथ में एक दुकान |
